सार
निर्जला एकादशी का महत्व अन्य सभी एकादशियों से बढ़कर माना गया है। कोई व्यक्ति यदि साल भर की एकादशी न कर पाए और सिर्फ इसी दिन सच्ची श्रद्धा से व्रत करे तो उसे साल भर की एकादशियों का फल मिल जाता है, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है। इस व्रत से जुड़े और भी नियम धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं।
उज्जैन. निर्जला एकादशी का महत्व अन्य सभी एकादशियों से बढ़कर माना गया है। कोई व्यक्ति यदि साल भर की एकादशी न कर पाए और सिर्फ इसी दिन सच्ची श्रद्धा से व्रत करे तो उसे साल भर की एकादशियों का फल मिल जाता है, ऐसा धर्म ग्रंथों में लिखा है। इस व्रत से जुड़े और भी नियम धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं। आज (21 जून, सोमवार) निर्जला एकादशी के अवसर पर हम आपको उन्हीं नियमों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
1. निर्जला एकादशी व्रत के नियमानुसार इस व्रत को निर्जल रखना चाहिए। लेकिन यदि ऐसा संभव नहीं है तो आप इस व्रत में पानी ग्रहण कर सकते हैं। कमजोर और बीमार लोग व्रत के एक समय फलाहार भी ले सकते हैं।
2. एकादशी पर जो लोग व्रत नहीं रखते, उन्हें चावल के अलावा दाल, बैंगन, मूली और सेम भी नहीं खाना चाहिए।
3. एकादशी पर पान नहीं खाना चाहिए। एकादशी व्रत में पान भगवान विष्णु जी को अर्पित किया जाता है।
4. एकादशी के दिन तामसिक पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए। मांस, मदिरा, प्याज लहसुन ये सभी तामसिक पदार्थों में शामिल हैं।
6. एकादशी पर किसी दूसरे के घर में भोजन नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से व्रती को उसके व्रत का फल प्राप्त नहीं होता है।
7. एकादशी की रात सोना नहीं चाहिए बल्कि भगवान के भजन और मंत्रों का जाप रात्रि जागरण करना चाहिए।
8. इस दिन किसी दूसरे व्यक्ति के प्रति बुरे विचार भी मन में नहीं लाना चाहिए और न ही किसी चुगली करनी चाहिए।
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