सार
भारतीय इतिहास में कई महापुरुषों के बारे में बताया गया है। उन्हीं में से एक थे भर्तृहरि। इतिहासकारों और ग्रंथों से पता चलता है कि ये उज्जयिनी यानी वर्तमान उज्जैन के राजा थे।
उज्जैन. राजा भर्तृहरि दूरदृष्टा और दार्शनिक थे। लेकिन पत्नी द्वारा छल किए जाने के कारण उन्होंने वैराग्य का रास्ता अपनाया और अपने छोटे भाई विक्रमादित्य को राज-पाठ सौंपकर वन में रहने लगे। राजा भर्तृहरि ने अनेक ग्रंथों की रचना की, उनमें से नीति शतकम्, वैराग्य शतकम्, श्रृंगारशतक नाम के ग्रंथ प्रसिद्ध हैं। नीति शतकम् में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं। इस ग्रंथ में बताए गए लाइफ मैनेजमेंट सूत्र आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। आज हम आपको इस ग्रंथ में बताए गए जीवन प्रबंधन के कुछ सूत्रों के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
नीति शतक में कहा गया है कि…
अधिक मोह से संतान, अध्ययन न करने से ज्ञानी, नशे से शर्म, देखभाल न करने से खेती, आय से अधिक व्यय करने से धनी नष्ट हो जाते हैं। आगे जानिए ये किस प्रकार होता है…
अधिक मोह से संतान
नीति शतक के अनुसार, संतान को प्यार तो करें, लेकिन गलती करने पर उसे सजा भी जरूर दें, नहीं तो जरूरत से ज्यादा प्यार उसे जिद्दी बना सकता है और भविष्य में वो गलत रास्ते पर भी जा सकता है। इसकी वजह से माता-पिता को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है और उनके मान-सम्मान में कमी आ सकती है।
अध्ययन न करने से ज्ञान
कुछ लोग एक बार किसी क्षेत्र की पढ़ाई करने के बाद दोबारा उसे नहीं पढ़ते और कुछ समय बाद जब उस ज्ञान की आवश्यकता होती है लगातार अध्ययन न करने की वजह से उसे भूल जाते हैं। इसलिए ये जरूरी है कि किसी भी क्षेत्र में लगातार अध्ययन किया जाए ताकि न सिर्फ पिछला ज्ञान हमें याद रहे बल्कि नई जानकारियां भी हमें मिलती रहे।
नशे से शर्म
नशा करने वाले व्यक्ति को अच्छे-बुरे का ज्ञान नहीं रहता और वो कुछ ऐसा काम भी कर जाता है जो नहीं करना चाहिए। नशे से उसके शर्म भी दूर हो जाती है और मान-सम्मान भी चला जाता है। ऐसे लोगों को कोई भी अधिक समय तक संबंध बनाकर नहीं रखता।
देखभाल न करने से खेती
खेती में लगातार मेहनत करने की आवश्यकता होती है, जरा सा लापरवाही के कारण पूरी मेहनत पर पानी फिर जाता है। फसल का पूरा फायदा तभी मिलता है, जब उसकी पूरी तरह से देखभाल की जाए। ऐसा न करने से फसल का नष्ट हो जाना तय होता है।
आय से अधिक खर्च करने से धनी
जो व्यक्ति अपनी आय से अधिक खर्च करता है, वो कितनी भी धनी क्यों न हो एक दिन नष्ट हो जाता है यानी गरीब हो जाता है। इसलिए सोच-समझकर ही खर्च करना चाहिए, नहीं तो भविष्य में पैसों की तंगी उसे बर्बाद कर सकती है।
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