सार

हिंदू नव वर्ष का आरंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत (Hindu New Year 2079) भी कहते हैं। इसे गुड़ी पड़वा (gudi padwa 2022), उगादि (Ugadi 2022) आदि नामों से भारत के अनेक क्षेत्रों में मनाया जाता है। इस बार ये उत्सव 2 अप्रैल, शनिवार को है।  

उज्जैन. ब्रह्म पुराण हिंदू धर्म का प्राचीन ग्रंथ है। इसके अनुसार पितामह ब्रह्मा ने चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से सृष्टि निर्माण का कार्य प्रारम्भ किया था। इसीलिए इसे सृष्टि का प्रथम दिन माना जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार चारों युगों में सबसे प्रथम सत्ययुग का प्रारम्भ इसी तिथि से हुआ था। इस दिन से सृष्टि का कालचक्र प्रारंभ हुआ था। इसे सृष्टि का पहला दिन भी माना जाता है। और भी कई कारण इस तिथि को विशेष बनाते हैं। आगे जानिए उगादि (Ugadi 2022) पर्व से जुड़ी खास बातें…

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आंध्र प्रदेश में उगादि के रूप में मनाते हैं हिंदू नववर्ष
- आंध्र प्रदेश सहित दक्षिण भारत में हिंदू नव वर्ष का पर्व उगादि के नाम से मनाया जाता है। उगादि का शुद्ध रूप है युगादि, जिसका अर्थ है युग का प्रारंभ। आंध्रा में इस दिन घरों को आम के पेड़ की पत्तियों के बंदनवार से सजाया जाता है। सुखद जीवन की अभिलाषा के साथ-साथ यह बंदनवार समृद्धि, व अच्छी फसल के भी प्रतीक हैं।
- उगादि पर्व पर आंध्रा में घर-घर खुशियां मनाई जाती है। सुबह बच्चों को तेल स्नान कराया जाता है। इसके बाद सभी लोग नहाकर नए कपड़े पहनते हैं। तब सभी लोग नव वर्ष की पचादि चटनी का स्वाद लेने के लिए एकत्रित होते हैं। 
- यह चटनी उगादि का विशेष उपहार मानी जाती है। इसमें नीम की नरम कोपलें, गन्ना, गुड़, कच्चे आम की फांके तथा नमक डाला जाता है। चटनी में नीम की कोपलें मिलाने का अर्थ है जीवन मीठा ही नहीं, उसमें थोड़ी कटुता (कड़वापन) भी है।
- बिना कटुता का स्वाद चखे आप जीवन के बारे में नहीं जान सकते। आंध्रा में इस दिन लोग किसी स्थान पर एकत्रित होते हैं और नए साल का पंचांग सुनते हैं। उगादि पर वर्ष का नाम भी रखा जाता है। इस प्रकार साठ वर्ष का एक चक्र माना जाता है, जिसमें हर वर्ष का एक नाम होता है जैसे- शुभकृत, क्रोधी, पराभव, विरोधकृत, प्लव आदि।

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