सार
वर्तमान समय में परिवार के बड़े-बुजुर्गों को वो आदर-सम्मान नहीं मिल पाता, जिसके वो हकदार होते हैं। उन्हें किसी अनुपयोगी वस्तु की तरह समझा जाता है। उनकी बातों पर गौर नहीं किया जाता।
उज्जैन. घर-परिवार में अक्सर बुजुर्गों की सलाह को दरकिनार कर दिया जाता है, जबकि बुजुर्गों के पास अपने अनुभवों का बेहतरीन खजाना छिपा होता है। जरूरत है तो उसे समझने की। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि बुजुर्गों का अनुभव मुश्किल परिस्थितियों में हमारे बहुत काम आ सकता है, इसे अनुपयोगी न समझें।
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जब सनकी राजा ने बुजुर्गों को राज्य से निकाल दिया
किसी राज्य में एक सरफिरा राजा था। एक बार उसने ये निर्णय लिया वृद्ध लोग किसी काम के नहीं होते, अकसर बीमार रहते हैं, और वे अपनी उम्र जी चुके होते हैं अतः उन्हें अपने राज्य से बाहर निकाल देना चाहिए। राजा के आदेश का पालन हुआ और पूरे राज्य से बुजुर्गों को बाहर निकाल दिया गया।
इस तरह वो राज्य बुद्धिमान और अनुभवी बुजुर्गों से खाली हो गया। राज्य में एक व्यक्ति अपने पिता से बहुत प्रेम करता था। उसने किसी तरह अपने पिता को दूसरों की नजरों से छिपाकर तहखाने में छिपा लिया और देखभाल करने लगा।
कुछ साल बाद उस राज्य में भीषण अकाल पड़ा और जनता दाने-दाने को मोहताज हो गई। बर्फ के पिघलने का समय आ गया था परंतु देश में बुआई के लिए एक दाना भी नहीं था। सभी परेशान थे।
अपने बच्चे की परेशानी देख कर उस वृद्ध ने, जिसे बचा लिया गया था, अपने बच्चे से कहा कि वो सड़क के किनारे-किनारे दोनों तरफ जहाँ तक बन पड़े हल चला ले। उस युवक ने बहुतों को इस काम के लिए कहा, परंतु किसी ने सुना नहीं।
उसने स्वयं जितना बन पड़ा, सड़क के दोनों ओर हल चला दिए। थोड़े ही दिनों में बर्फ पिघली और सड़क के किनारे-किनारे जहाँ जहाँ हल चलाया गया था, अनाज के पौधे उग आए।
लोगों में यह बात चर्चा का विषय बन गई, बात राजा तक पहुँची। राजा ने उस युवक को बुलाया और पूछा कि ये विचार उसे आखिर आया कहाँ से? युवक ने सारी बात सच-सच बता दी।
राजा ने उस बुजुर्ग को और और पूछा कि “आपके मन में ये विचार कैसे आया कि सड़क के किनारे हल चलाने से अनाज के पौधे उग आएंगे।”
उस वृद्ध ने जवाब दिया कि जब लोग अपने खेतों से अनाज घर ले जाते हैं तो बहुत सारे दाने बीच सड़कों के किनारे गिर जाते हैं। आज वही दाने पौधे बन गए हैं।”
राजा बुजुर्ग की बात सुनकर प्रभावित हुआ और उसने राज्य के सभी बुजुर्गों को दोबारा अपने यहां बुलवा लिया।
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निष्कर्ष ये है कि…
परिवार के जिन बुजुर्गों को हम पुराने विचारों वाला या अनुपयोगी समझते हैं, उनके पास अनुभव का बहुत बड़ा खजाना छिपा है। उनका अनुभव विपरीत समय में हमारा सहारा बन सकता है।
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