सार
कुछ लोगों की आदत होती है कि वो अन्य लोगों के सामने दूसरों की बुराई करते हैं। ऐसा करके वो लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ खड़ा कर देते हैं। इससे समाज बंट जाता है। ऐसा करना किसी के लिए भी ठीक नहीं होता।
उज्जैन. जबकि कुछ लोग सिर्फ लोगों की अच्छाई पर ध्यान देते हैं और उसी के बारे में लोगों को बताते हैं, इससे लोग एक-दूसरे के प्रति जुड़ाव महसूस करते हैं। हमें भी ऐसा ही करना चाहिए। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि कभी भी समाज को बांटने वाले लोग हमेशा पीछे ही रह जाते हैं।
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दर्जी के बेटे ने पूछा एक खास सवाल
किसी शहर में एक दर्जी अपने परिवार के साथ रहता था। उसके पास कपड़े सीलने का काफी अच्छा हुनर था। दूर-दूर से लोग उसके पास कपड़े सिलवाने आते थे। एक दिन स्कूल में छुट्टी होने से दर्जी का बेटा अपने पिता की दुकान पर चला गया।
वहाँ जाकर वह बड़े ध्यान से अपने पापा को काम करते हुए देखने लगा। पापा को काम करते देख उसने एक अजीब बात देखी, जिसे लेकर उसके मन में प्रश्न आया। उसने देखा कि उसके पापा कैंची से कपड़े को काटते हैं और कैंची को पैर के पास टांग से दबा कर रख देते हैं। फिर सुई से उसको सीते हैं और सीने के बाद सुई को अपनी टोपी पर लगा लेते हैं ।
जब उसने इसी क्रिया को चार-पाँच बार देखा तो उससे रहा नहीं गया, तो उसने अपने पापा से पूछा कि “पापा मैं बड़ी देर से आपको देख रहा हूं, आप जब भी कपड़ा काटते हैं, उसके बाद कैंची को पैर के नीचे दबा देते हैं और सुई से कपड़ा सीने के बाद, उसे टोपी पर लगा लेते हैं, ऐसा क्यों ?”
लड़के के पिता काफी देर तक चुप रहे और बोलें कि ‘‘इसके पीछे बहुत ही गहरा रहस्य छिपा है, जो किसी की भी जिंदगी बदल सकता है। क्यों तुम इस रहस्य के बारे में जानना चाहोगे।”
लड़के ने कहा “हां, जरूर। क्या वो रहस्य, मुझे बताईए।”
पिता ने कहा “ बेटा, कैंची काटने का काम करती है, और सुई जोड़ने का काम करती है, और काटने वाले की जगह हमेशा नीची होती है परन्तु जोड़ने वाले की जगह हमेशा ऊपर होती है । यही कारण है कि मैं सुई को टोपी पर लगाता हूं और कैंची को पैर के नीचे रखता हूं।”
लड़का अपने पिता की बात समझ चुका था। उन्होंने इन 2 लाइनों में जीवन की सच्चाई उसके सामने रख दी थी।
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निष्कर्ष ये है कि…
जो लोग समाज में एक-दूसरे को जोड़ने का काम करते हैं, उनकी जगह हमेशा ऊपर होती है और जो समाज को बांटते हैं, वे नीचे रह जाते हैं। इसलिए हमें अपने व्यवहार से लोगों को जोड़ने का प्रयास करना चाहिए न कि तोड़ने का।
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