सार

महाभारत का एक बहुत ही खास अंग है विदुर नीति, जिसमें महात्मा विदुरजी ने कई काम की बातें और नीतियां बताई है। वो बातों न की सिर्फ उस समय काम की थी बल्कि आज भी बहुत महत्व रखती है।

उज्जैन. महाभारत का एक बहुत ही खास अंग है विदुर नीति, जिसमें महात्मा विदुरजी ने कई काम की बातें और नीतियां बताई है। वो बातों न की सिर्फ उस समय काम की थी बल्कि आज भी बहुत महत्व रखती है। अगर कोई भी इंसान इन बातों को ध्यान रखें तो उसे जीवन की हर सफलता और सुख मिल सकते हैं। जानिए ऐसी ही 4 नीतियों के बारे में-

1. हन्ति जातानजातांश्र्च हिण्यार्थेनृतं वदन्।
सर्व भूम्यनृते हन्ति मा स्म भूम्यनृतं वदे: ।।
अर्थ- स्वर्ण यानी सोने के लिए झूठ बोलने वाला मनुष्य अपने आगे और पीछे की पीढ़ियों को नर्क का भागी बना देता है, लेकिन भूमि और स्त्री के लिए झूठ बोलने वाला इंसान को अपना सर्वनाश की कर बैठता है। इसलिए भूमि या स्त्री के लिए कभी झूठ न बोलें।

2. अनिज्यया कुविवाहैर्वेदस्योत्सादनने च।
कुलान्यकुलतां यान्ति धर्मस्यातिक्रमेण च।।
अर्थ- पूजा-पाठ न करना, अपहरण करके या भगाकर विवाह करना, वेदों का तिरस्कार करना और धर्म का पालन न करना- ये सभी काम परिवार के सम्मान को नष्ट कर देते हैं।

3. असूर्य को दन्दशूको निष्ठो वैरकृच्छ:।
स कृच्छूं महदाप्नोति च चिरात्पापमाचरन्।।
अर्थ- जो मनुष्य दूसरों के गुणों में दोष ढूंढता है। दूसरों के धर्मस्थलों को अपवित्र करता है, कड़वी बातें करता है, निर्दयी और दुष्ट होता है, ऐसा मनुष्य जीवन में कई कष्ट भोगता है।

4. नष्टप्रज्ञ: पापमेव नित्यमारभते नर: ।
पुण्यं प्रज्ञां वर्धयति क्रियमाणं पुन: पुन: ।।
अर्थ- जिस मनुष्य की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है, वह निरंतर पाप कर्म ही करता रहता है। इसी तरह बार-बार पुण्य कर्म करने से बुद्धि का विकास होता है।