सार

प्रत्येक महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए प्रदोष व्रत किया जाता है। इस बार 5 मई, मंगलवार को वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है।

उज्जैन. मंगलवार होने से इस दिन मंगल प्रदोष का योग बन रहा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्‌ट के अनुसार, मंगलवार को  हनुमानजी की पूजा विशेष फलदाई है और वे शिवजी के ही अवतार हैं। इसलिए मंगलवार और प्रदोष तिथि का योग बहुत ही शुभ माना गया है। इस दिन इस विधि से करें शिवजी की पूजा और उपाय-

व्रत और पूजा की विधि

  • प्रदोष में बिना कुछ खाए व्रत रखने का विधान है। ऐसा करना संभव न हो तो एक समय फल खा सकते हैं। इस दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए।
  • भगवान शिव-पार्वती और नंदी को पंचामृत व गंगाजल से स्नान कराकर बिल्व पत्र, गंध, चावल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य (भोग), फल, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ाएं।
  • शाम के समय फिर से स्नान करके इसी तरह शिवजी की पूजा करें। भगवान शिव को घी और शक्कर मिले जौ के सत्तू का भोग लगाएं।
  • आठ दीपक आठ दिशाओं में जलाएं। इसके बाद शिवजी की आरती करें।
  • रात में जागरण करें और शिवजी के मंत्रों का जाप करें। इस तरह व्रत व पूजा करने से व्रती (व्रत करने वाला) की हर इच्छा पूरी हो सकती है।

उपाय
मंगल प्रदोष के शुभ योग में हनुमानजी को सिंदूर और चमेली के तेल से चोला चढ़ाएं और सरसों के तेल का दीपक लगाएं। हनुमानजी के कंधों पर केवड़े का इत्र छिड़के और गुड़-चने का भोग लगाएं।