सार

शनिदेव से संबंधित अनेक कथाएं ग्रंथों में मिलती हैं। उनमें से एक कथा राजा दशरथ से भी जुड़ी है, जब वे शनिदेव से लड़ने के लिए तैयार हो गए थे।

उज्जैन. राजा दशरथ और शनिदेव के युद्ध की ये कथा पद्म पुराण में है। शनि जयंती (22 मई) के मौके पर जानिए इस कथा के बारे में-

शनिदेव से युद्ध क्यों करना चाहते थे राजा दशरथ...
- पद्म पुराण के अनुसार, जब अयोध्या के राजा दशरथ थे, उस समय ज्योतिषियों ने उन्हें बताया कि शनिदेव कृत्तिका नक्षत्र के अंत में पहुंच गए हैं और वे रोहिणी नक्षत्र का भेदन करके आगे बढ़ेंगे।
- ऐसा होने से संसार में 12 सालों तक भयंकर अकाल पड़ेगा। लोग पानी और अन्न के लिए तरस जाएंगे। ज्योतिषियों की बात सुनकर राजा दशरथ ने बहुत विचार किया और अपने दिव्यास्त्र लेकर नक्षत्र मंडल में शनिदेव से युद्ध करने पहुंच गए।
- राजा दशरथ का साहस देखकर शनिदेव प्रसन्न हो गए और उनसे वरदान मांगने को कहा। तब राजा दशरथ ने कहा कि- जब तक सूर्य, चंद्रमा और पृथ्वी है, आप रोहिणी नक्षत्र का भेदन न करें।
- शनिदेव ने राजा दशरथ को ये वरदान दे दिया। राजा दशरथ ने भी यहा कि आज से आप देवता, असुर, मनुष्य, पशु, पक्षी आदि किसी भी प्राणी को पीड़ा न दें।
- तब शनिदेव ने कहा कि- जो भी विधि-विधान से मेरी पूजा करेगा। मैं उसे कभी कोई कष्ट नहीं दूंगा और हमेशा उसकी रक्षा करूंगा। इस तरह शनिदेव से वरदान लेकर राजा दशरथ पुनः पृथ्वी पर लौट आए।