सार

4 नवंबर, बुधवार को करवा चौथ का व्रत है । यह दिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। इस दिन महिलाओं को पांच बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

उज्जैन. 4 नवंबर, बुधवार को करवा चौथ का व्रत है । यह दिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है। इस दिन महिलाएं बिना कुछ खाए पिए अपने परिवार की सुख समृद्धि के लिए व्रत करती हैं और शाम को चंद्रमा देखने के बाद ही भोजन ग्रहण करती हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पंडित प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार इस दिन महिलाओं को पांच बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए यह पांच बातें इस प्रकार है

सरगी का उपहार 
इस दिन सास अपनी बहू के लिए सुबह जल्दी उठकर खाने की कुछ विशेष चीजें तैयार करती हैं, इसे ही सरगी कहते हैं। सरगी में मिठाई, फल आदि होता है, जो सूर्योदय के समय बहू व्रत से पहले खाती है, जिससे पूरे दिन उसे ऊर्जा मिलती है ताकि वह व्रत आसानी से पूरा कर सके।

निर्जला व्रत का विधान
करवा चौथ का व्रत निर्जला रखा जाता है, इसमें व्रत रखने वाले व्यक्ति को पूरे दिन तक कुछ भी खाना और पीना वर्जित रहता है। जल का त्याग करना होता है। व्रती अपने कठोर व्रत से माता गौरी और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं, ताकि उन्हें अखंड सुहाग और सुखी दाम्पत्य जीवन का आशीर्वाद मिले।

शिव और गौरी की पूजा
करवा चौथ के व्रत में सुबह से ही श्री गणेश, भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है, ताकि उन्हें अखंड सौभाग्य, यश एवं कीर्ति प्राप्त हो सके। पूजा में माता गौरी और भगवान शिव के मंत्रों का जाप किया जाता है।

शिव-गौरी की मिट्टी की मूर्ति
करवा चौथ में पूजा के लिए शुद्ध पीली मिट्टी से शिव, गौरी एवं गणेश जी की मूर्ति बनाई जाती है। फिर उन्हें चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर स्थापित किया जाता है। माता गौरी को सिंदूर, बिंदी, चुन्नी तथा भगवान शिव को चंदन, पुष्प, वस्त्र आदि पहनाते हैं। श्रीगणेशजी उनकी गोद में बैठते हैं।

ध्यान से सुनें कथा
दिन में पूजा की तैयारी के बाद शाम में महिलाएं एक जगह एकत्र होती हैं। वहां पंडितजी या उम्रदराज महिलाएं करवा चौथ की कथा सुनाती हैं। इसके बाद चांद के निकलने पर उसे अर्घ्य देना चाहिए। इसके बाद पानी पीकर अपना व्रत खोलती हैं।