Amarnath Yatra 2022: 12 शताब्दी की इस पुस्तक में मिलता है अमरनाथ का जिक्र, किसने की थी इस गुफा की खोज?

Published : Jun 30, 2022, 08:28 AM IST
Amarnath Yatra 2022: 12 शताब्दी की इस पुस्तक में मिलता है अमरनाथ का जिक्र, किसने की थी इस गुफा की खोज?

सार

आज (30 जून, गुरुवार) से हिंदुओं के पवित्र स्थलों में से एक अमरनाथ की यात्रा शुरू हो रही है। ये यात्रा 11 अगस्त तक चलेगी, इसके बाद इसका समापन हो जाएगा। अमरनाथ गुफा जम्मू-कश्मीर के गांदरबल जिले में 17 हजार फीट से ज्यादा ऊंचाई वाले अमरनाथ पर्वत पर स्थित है।

उज्जैन. अमरनाथ गुफा में हर साल प्राकृतिक रूप से शिवलिंग का निर्माण होता है, इसी के दर्शन के लिए लाखों भक्त वहां जाते हैं। बर्फ से शिवलिंग बनने की वजह से इन्हें 'बाबा बर्फानी' भी कहते हैं। साल में कुछ ही समय के लिए इस शिवलिंग के दर्शन किए जाते हैं क्योंकि शेष दिनों में यहां का मौसम प्रतिकूल रहता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, इसी स्थान पर भगवान शिव ने देवी पार्वती को अमरता की कहानी सुनाई थी। इस गुफा की खोज सबसे पहले किसने की, इसे लेकर भी कई मत हैं। आगे जानिए अमरनाथ गुफा से जुड़ी खास बातें…

किसने की थी इस गुफा की खोज?
- बाबा अमरनाथ की गुफा की खोज किसने की थी और किसने पहली बार बाबा के दर्शन किए थे, इसे लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। हालांकि 12वीं सदी में लिखी गई कल्हण की पुस्तक राजतरंगिणी में अमरनाथ का जिक्र मिलता है। माना जाता है कि 11वीं सदी में रानी सूर्यमती ने अमरनाथ मंदिर को त्रिशूल, बाणलिंग समेत कई अन्य पवित्र चीजें दान की थीं।
- इसके बाद इस गुफा के बारे में कोई वर्णन किसी ग्रंथ या पुस्तक में नहीं मिलता। आधुनिक रिसर्चर्स के मुताबिक, 1850 में बूटा मलिक नामक एक मुस्लिम गडरिए ने अमरनाथ गुफा की खोज की थी। वो अपनी भेड़े चराते हुए यहां तक आ गया था। हालांकि एक मत ये भी है कि बूटा मलिक मुसलमान न होकर गुज्जर समाज का था। 
- बूटा मलिक की मुलाकात यहां एक साधु से हुई। साधु ने बूटा मलिक को कोयले से भरी एक सिगड़ी दी। घर पहुंचकर जब बूटा मलिक देखा कि सिगड़ी का कोयला सोने में बदल गया है तो वह साधु को धन्यवाद देने दूसरे दिन दोबार उस स्थान पर पहुंचा। लेकिन वहां साधु तो नहीं था, लेकिन पास ही में एक विशाल गुफा थी।
- बूटा मलिक ने गुफा के अंदर जाकर बर्फ का शिवलिंग देखा और उसने ये बात जाकर गांव के मुखिया को बताई। जल्दी ही ये खबर उस समय के कश्मीर के राजा तक भी पहुंच गई। और इस तरह लोगों को इस स्थान के बारे में बता चला और ये एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान बन गया।


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