Bail Pola 2022: कब है बैल पोला, क्यों मनाते हैं ये पर्व? जानिए इससे जुड़ी खास बातें

Bail Pola 2022: हमारे देश में हर त्योहार अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न परंपराओं और रीति रिवाजों के साथ मनाया जाता है। ऐसा ही एक त्योहार है बैल पोला। ये पर्व भाद्रपद मास की अमावस्या को मनाया जाता है जो इस बार 27 अगस्त, शनिवार को है।
 

Manish Meharele | Published : Aug 26, 2022 5:31 AM IST

उज्जैन. इस बार भाद्रपद मास की अमावस्या 27 अगस्त, शनिवार को है। इस दिन कुशग्रहणी अमावस्या, शनिश्चरी अमावस्या, बैल पोला (Bail Pola 2022) और पिठौरी अमावस्या का पर्व मनाया जाएगा। इन सभी नामों में से बैल पोला के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। ये पर्व मुख्य रूप से छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के कुछ स्थान, कर्नाटक और महाराष्ट्र में मुख्य रूप से मनाया जाता है। इस दिन बैलों की पूजा की जाती है। इसे बैल पोला और पोला पर्व के माना जाना जाता है।

महाराष्ट्र का मुख्य पर्व है बैल पोला
बैल पोला वैसे तो देश के अलग-अलग हिस्सों में मनाया जाता है, लेकिन महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में इसका महत्व काफी ज्यादा है। विदर्भ में बैल पोला को मोठा पोला भी कहते हैं एवं इसके दुसरे दिन को तान्हा पोला कहा जाता है। भारत एक कृषिप्रधान देश है और ज्यादातर किसान खेती करने के लिए बैलों का प्रयोग करते हैं। इसलिए सभी किसान पशुओं की पूजा करके उन्हें धन्यवाद देते हैं।

ऐसे मनाते हैं ये उत्सव?
बैल पोला पर किसान अपने बैलों की गले से रस्सी निकालकर उनकी तेल मालिश करते हैं। इसके बाद उन्हें अच्छे से नहलाकर तैयार किया जाता है। कई स्थानों पर बैलों को रंग बिरंगे कपड़े और जेवर के साथ फूलों की माला पहनाई जाती है। इसके बाद बैलों को बाजरा से बनी खिचड़ी खिलाई जाती है। सभी एक एक स्थान पर इकट्ठा होकर बैलों का जुलूस निकालते हैं और उत्सव मनाते हैं। इस दिन घरों में विशेष तरह के पकवान जैसे पूरन पोली, गुझिया आदि चीजें बनाई जाती हैं। 

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बैल पोला का लाइफ मैनेजमेंट
भाद्रपद मास की अमावस्या तक किसान अपनी फसल बो चुके होते हैं। बैलों की सहायता से ही किसान खेत जोतते है। जब किसान फसल बोकर निश्चिंत हो जाता है तब वो बैलों का धन्यवाद देने के लिए ये पर्व मनाता है। देखने में ये बात भले ही बहुत छोटी लगे, लेकिन इसके पीछे एक लाइफ मैनेजमेंट सूत्र छिपा है वो ये है कि जिन भी पशु व उपकरणों से हमारा जीवन-यापन हो रहा है, वे सभी धन्यवाद के पात्र हैं। ये भावना हमारे अंदर विनम्रता का भाव भी पैदा करता है।


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