रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक हैं बालि और सुग्रीव, बहुत विचित्र है इनके जन्म की कथा

Published : Feb 18, 2021, 02:27 PM IST
रामायण के प्रमुख पात्रों में से एक हैं बालि और सुग्रीव, बहुत विचित्र है इनके जन्म की कथा

सार

रामायण में अनेक पात्र हैं, उनमें वानरराज सुग्रीव और बालि भी प्रमुख हैं। ये दोनों भाई थे, जो किष्किंधा नामक स्थान पर निवास करते थे। बालि का वध स्वयं भगवान श्रीराम ने किया था जबकि सुग्रीव ने देवी सीता की खोज में उनकी मदद की थी।

उज्जैन. रामायण में अनेक पात्र हैं, उनमें वानरराज सुग्रीव और बालि भी प्रमुख हैं। ये दोनों भाई थे, जो किष्किंधा नामक स्थान पर निवास करते थे। बालि का वध स्वयं भगवान श्रीराम ने किया था जबकि सुग्रीव ने देवी सीता की खोज में उनकी मदद की थी। इन दोनों ही पात्रों के जन्म की कथा भी बहुत ही विचित्र है। आज हम आपको इसी प्रसंग के बारे में बता रहे हैं…

स्त्री रूपी वानर से जन्में थे बालि और सुग्रीव
- त्रेतायुग में ऋक्षराज नाम का एक अति बलवान वानर ऋष्यमूक पर्वत पर रहता था। अपने बल के घमंड में वह इधर उधर विचरण करता रहता था। उस पर्वत के पास में एक बड़ा ही सुंदर तालाब था।
- उस तालाब की यह विशेषता थी कि जो उसमें स्नान करता, वह एक सुंदर स्त्री बन जाता था। ऋक्षराज को यह बात मालूम नहीं थी। एक दिन ऋक्षराज उस तालाब में नहाने गया तो वह भी एक बहुत ही सुंदर स्त्री में बदल गया।
- तब देवराज इंद्र की दृष्टि उस स्त्री रूपी वानर पर पड़ी। उसका सौंदर्य देखकर उनका तेज स्खलित हो गया। वह तेज उस स्त्री के बालों पर गिरा। उसी से बालि की उत्पत्ति हुई।
- थोड़ी देर बाद सूर्योदय हुआ तो सूर्यदेव की दृष्टि भी उस सुन्दरी पर पड़ी, तो सूर्यदेव भी उसकी सुन्दरता पर मोहित हो गये। उनका तेज भी स्खलित हो गया, जो उस स्त्री की ग्रीवा यानी गर्दन पर पड़ा। उससे जिस पुत्र का जन्म हुआ उसका नाम सुग्रीव पड़ा।
- दोनों ही सगे भाई थे। बड़ा भाई बालि इन्द्र का पुत्र और छोटा भाई सूर्य का पुत्र सुग्रीव था। बालों पर तेज गिरने से बालि और ग्रीवा पर तेज गिरने से सुग्रीव नाम पड़ा।
- दोनों का पालन पोषण उसी ऋक्षराज बानर से बनी हुई स्त्री ने किया और उसी ऋष्यमूक पर्वत को अपना निवास बनाया। बालि अतिबलवान था, वह श्रीराम के हाथों मारा गया, जबकि सुग्रीव उनका सेवक बन गया।
 

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Panchang 7 दिसंबर 2025: 2 ग्रह बदलेंगे राशि, बनेंगे 4 शुभ योग, जानें राहुकाल का समय
Unique Temple: इस त्रिशूल में छिपे हैं अनेक रहस्य, इसके आगे वैज्ञानिक भी फेल, जानें कहां है ये?