देवी सीता के मंदिर में लगे हैं चांदी के दरवाजे, यहीं हुआ था इनका जन्म, अब स्थापित होगी 251 मीटर की प्रतिमा

बिहार (Bihar) का सीतामढ़ी (Sitamarhi) नामक स्थान धार्मिक महत्व की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है। मान्यता है कि इसी स्थान पर हल जोतते समय राजा जनक को देवी सीता (Devi Sita) जमीन से बालिका रूप में प्राप्त हुई थी।

Asianet News Hindi | Published : Feb 14, 2022 10:36 AM IST

उज्जैन. यहां देवी सीता का प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर है। सीतामढ़ी (Sita Mandir Sitamarhi) के धार्मिक महत्व में और भी इजाफा हो रहा है क्योंकि यहां देवी सीता की विशाल प्रतिमा बनाने की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि यह प्रतिमा दुनिया की सबसे ऊंची प्रतिमा होगी। रामायण रिसर्च काउंसिल की ओर से सीतामढ़ी में माता सीता की विश्व की सबसे बड़ी प्रतिमा का निर्माण कराया जायेगा। इसके लिए श्री भगवती सीता तीर्थ क्षेत्र समिति का गठन किया गया है। समिति की मानें तो यह विशाल प्रतिमा अष्टधातु की होगी। 

ऐसा मंदिर बनाने की है योजना
माता सीता की यह प्रतिमा 251 मीटर ऊंची होगी। इसके चारों और वृत्ताकार रूप में भगवती सीता की 108 प्रतिमाएं होंगी जो उनके जीवन दर्शन का वर्णन करेंगी। दर्शन के लिए स्थल को नौका विहार के तरीके से विकसित किया जाएगा। शोध संस्थान और अध्ययन केंद्र भी बनाया जाएगा। इसके साथ ही यहां पर माता सीता के जीवन दर्शन पर आधारित एक डिजिटल संग्रहालय का निर्माण भी किया जाएगा। यहां रामायण के प्रमुख पात्रों की प्रतिमाएं भी स्थापित की जाएंगी। इसके अलावा इस स्थल पर इंटरप्रेटेशन सेंटर, पुस्तकालय, पार्किंग, फूड प्लाजा और पर्यटकों के लिए मूलभूत सुविधाओं को उपलब्ध कराने पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

सीतामढ़ी में है देवी सीता का प्राचीन मंदिर
- सीतामढ़ी रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर पश्चिम में पुनौरा धाम (Punaura Dham Sitamarhi) भव्य जानकी मंदिर (Janaki Mandir Sitamarhi) है। प्राचीन काल में यहां पुण्डरीक ऋषि का आश्रम हुआ करता था। मंदिर में मां सीता के साथ उनकी बहनों की प्रतिमा स्थापित है। 
- सरकार की ओर से हर साल दो दिवसीय सीतामढ़ी महोत्सव का आयोजन भी किया जाता है। सीतामढ़ी शहर में जानकी स्थान मंदिर का निर्माण वर्षों पूर्व किया गया था। सैकड़ों वर्ष पुराने इस भव्य मंदिर का मुख्य द्वार चांदी से बना हुआ है। 
- यहां बहुमूल्य काले पत्थर से निर्मित मां सीता और भगवान श्री राम की अद्भुत प्रतिमा भक्तों का ध्यान आकर्षित करती है। मंदिर परिसर में उर्विजा कुण्ड भव्य और आकर्षक है। कुंड के बीचोबीच राजा जनक द्वारा हल चलाते एवं घड़े से प्रकट हो रही मां सीता की प्रतिमा पर्यटकों को आकर्षित करती है।

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कैसे पहुंचें?
- सीतामढी से गुजरने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग 77 हाजीपुर से सोनबरसा तक तथा राष्ट्रीय राजमार्ग 104 सुरसंड, भिट्ठामोड़, चोरौत होते हुए जयनगर तक जाती है। राजकीय राजमार्ग 52 पुपरी होते सीतामढी को मधुबनी से जोड़ती है। इसके अलावे जिले के सभी भागों में पक्की सड़कें जाती है। पटना से यहाँ सड़क मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग 77 से पहुंचा जा सकता है। पटना से यहाँ की दूरी 105 किलो मीटर तथा मुजफ्फरपुर से 53 किलोमीटर है।
- सीता़मढी जंक्शन पूर्व मध्य रेलवे क्षेत्र में पड़ता है। यह जंक्शन समस्तीपुर तथा गोरखपुर रेल खंड पर अबस्थित है। 
- यहाँ का निकटतम हवाई अड्डा 130 किलोमीटर दूर राज्य की राजधानी पटना में है।

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