चैत्र नवरात्री 25 मार्च से, जानें घट स्थापना की विधि, मुहुर्त, शुभ योग, उपाय, क्यों है ये नवरात्री खास

मां शक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि इस बार 25 मार्च, बुधवार से शुरू हो रही है, जो 2 अप्रैल, गुरुवार तक रहेगी। नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घट (कलश) की स्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्रि उत्सव का प्रारंभ होता है।

उज्जैन. मां शक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि इस बार 25 मार्च, बुधवार से शुरू हो रही है, जो 2 अप्रैल, गुरुवार तक रहेगी। नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घट (कलश) की स्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्रि उत्सव का प्रारंभ होता है। इससे सुख-समृद्धि और धन लाभ के योग बनते हैं। इस बार ब्रह्म योग में घट स्थापना की जाएगी।

माता दुर्गा व घट स्थापना की विधि इस प्रकार हैं...

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ये हैं घट स्थापना के शुभ मुहूर्त...

ध्यान रखें ये 4 बातें...
1. नवरात्रि में माता दुर्गा के सामने नौ दिन तक अखंड ज्योत जलाई जाती है। यह अखंड ज्योत माता के प्रति आपकी अखंड आस्था का प्रतीक स्वरूप होती
है। माता के सामने एक एक तेल व एक शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए।
2. मान्यता के अनुसार, मंत्र महोदधि (मंत्रों की शास्त्र पुस्तिका) के अनुसार दीपक या अग्नि के समक्ष किए गए जाप का साधक को हजार गुना फल प्राप्त हो है। कहा जाता है- दीपम घृत युतम दक्षे, तेल युत: च वामत:।
अर्थात- घी का दीपक देवी के दाहिनी ओर तथा तेल वाला दीपक देवी के बाईं ओर रखना चाहिए।
3. अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। इसके लिए एक छोटे दीपक का प्रयोग करें। जब अखंड ज्योत में घी डालना हो, बत्ती ठीक करनी हो तो या गुल झाड़ना हो तो छोटा दीपक अखंड दीपक की लौ से जलाकर अलग रख लें।
4. यदि अखंड दीपक को ठीक करते हुए ज्योत बुझ जाती है तो छोटे दीपक की लौ से अखंड ज्योत पुन: जलाई जा सकती है। छोटे दीपक की लौ को घी में डूबोकर ही बुझाएं।

चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिन्दू नववर्ष शुरू होगा। इस दिन रेवती नक्षत्र के साथ ही बुधवार होने से रहेगा ब्रह्म योग बन रहा है। 

शुभ काम करने के लिए अबूझ मुहूर्त

पं. शर्मा के अनुसार चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा, अष्टमी और नवमी तिथि किसी भी काम की शुरुआत करने शुभ दिन होते हैं। इन दिनों को अबुझ मुहूर्त माना जाता है। इन दिनों में की गई पूजा-पाठ का सकारात्मक फल जल्दी मिल सकता है। अपने कामों में सफलता मिल सकती है।

नवरात्रि में कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं

नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को ब्रह्मयोग, द्वितीया व षष्ठी तिथि पर सर्वार्थ-अमृत सिद्धि योग रहेगा, तृतीया और नवमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, पंचमी तिथि पर रवियोग रहेगा।

चैत्र नवरात्रि में रोज देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है


ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि में किए गए कुछ विशेष उपायों से धन, नौकरी, स्वास्थ्य, संतान, विवाह, प्रमोशन आदि कई मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। 

बरकत बढ़ाने का उपाय

धन लाभ के लिए उपाय

ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार इस बार कोई भी तिथि क्षय नहीं होगी, जिससे यह नवरात्रि पूरे 9 दिनों की रहेगी, जो शुभ फल देने वाली रहेगी।

चैत्र नवरात्र का महत्व

मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का प्राकट्य हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। इसके अलावा भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि में ही हुआ था।


किस दिन कौन-सी तिथि

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