चैत्र नवरात्री 25 मार्च से, जानें घट स्थापना की विधि, मुहुर्त, शुभ योग, उपाय, क्यों है ये नवरात्री खास
मां शक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि इस बार 25 मार्च, बुधवार से शुरू हो रही है, जो 2 अप्रैल, गुरुवार तक रहेगी। नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घट (कलश) की स्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्रि उत्सव का प्रारंभ होता है।
उज्जैन. मां शक्ति की आराधना का पर्व चैत्र नवरात्रि इस बार 25 मार्च, बुधवार से शुरू हो रही है, जो 2 अप्रैल, गुरुवार तक रहेगी। नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमा तथा घट (कलश) की स्थापना की जाती है। इसके बाद ही नवरात्रि उत्सव का प्रारंभ होता है। इससे सुख-समृद्धि और धन लाभ के योग बनते हैं। इस बार ब्रह्म योग में घट स्थापना की जाएगी।
माता दुर्गा व घट स्थापना की विधि इस प्रकार हैं...
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पवित्र स्थान की मिट्टी से वेदी बनाकर उसमें जौ, गेहूं बोएं। फिर उनके ऊपर तांबे या मिट्टी के कलश की स्थापना करें। कलश के ऊपर माता की मूर्ति या चित्र रखें।
मूर्ति अगर कच्ची मिट्टी से बनी हो और उसके खंडित होने की संभावना हो तो उसके ऊपर उसके ऊपर शीशा लगा दें।
मूर्ति न हो तो कलश पर स्वस्तिक बनाकर दुर्गाजी का चित्र पुस्तक तथा शालिग्राम को विराजित कर भगवान विष्णु की पूजा करें।
नवरात्रि व्रत के आरंभ में स्वस्तिक वाचन-शांतिपाठ करके संकल्प करें और सबसे पहले भगवान श्रीगणेश की पूजा कर मातृका, लोकपाल, नवग्रह व वरुण का सविधि पूजन करें। फिर मुख्य मूर्ति की पूजा करें।
दुर्गा देवी की पूजा में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की पूजा और श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नौ दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए।
ये हैं घट स्थापना के शुभ मुहूर्त...
सुबह 06.00 से 06.57 तक (श्रेष्ठ मुहूर्त)
सुबह 07.30 से 09.00 तक- अमृत
सुबह 10.30 से दोपहर 12.00 तक- शुभ
सुबह 10.47 से दोपहर 12.17 तक- अमृत
दोपहर 04.30 से 06.00 तक- लाभ
ध्यान रखें ये 4 बातें... 1. नवरात्रि में माता दुर्गा के सामने नौ दिन तक अखंड ज्योत जलाई जाती है। यह अखंड ज्योत माता के प्रति आपकी अखंड आस्था का प्रतीक स्वरूप होती है। माता के सामने एक एक तेल व एक शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। 2. मान्यता के अनुसार, मंत्र महोदधि (मंत्रों की शास्त्र पुस्तिका) के अनुसार दीपक या अग्नि के समक्ष किए गए जाप का साधक को हजार गुना फल प्राप्त हो है। कहा जाता है- दीपम घृत युतम दक्षे, तेल युत: च वामत:। अर्थात- घी का दीपक देवी के दाहिनी ओर तथा तेल वाला दीपक देवी के बाईं ओर रखना चाहिए। 3. अखंड ज्योत पूरे नौ दिनों तक जलती रहनी चाहिए। इसके लिए एक छोटे दीपक का प्रयोग करें। जब अखंड ज्योत में घी डालना हो, बत्ती ठीक करनी हो तो या गुल झाड़ना हो तो छोटा दीपक अखंड दीपक की लौ से जलाकर अलग रख लें। 4. यदि अखंड दीपक को ठीक करते हुए ज्योत बुझ जाती है तो छोटे दीपक की लौ से अखंड ज्योत पुन: जलाई जा सकती है। छोटे दीपक की लौ को घी में डूबोकर ही बुझाएं।
चैत्र नवरात्रि के साथ ही हिन्दू नववर्ष शुरू होगा। इस दिन रेवती नक्षत्र के साथ ही बुधवार होने से रहेगा ब्रह्म योग बन रहा है।
शुभ काम करने के लिए अबूझ मुहूर्त
पं. शर्मा के अनुसार चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा, अष्टमी और नवमी तिथि किसी भी काम की शुरुआत करने शुभ दिन होते हैं। इन दिनों को अबुझ मुहूर्त माना जाता है। इन दिनों में की गई पूजा-पाठ का सकारात्मक फल जल्दी मिल सकता है। अपने कामों में सफलता मिल सकती है।
नवरात्रि में कौन-कौन से शुभ योग बन रहे हैं
नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को ब्रह्मयोग, द्वितीया व षष्ठी तिथि पर सर्वार्थ-अमृत सिद्धि योग रहेगा, तृतीया और नवमी तिथि पर सर्वार्थ सिद्धि योग, पंचमी तिथि पर रवियोग रहेगा।
चैत्र नवरात्रि में रोज देवी के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक भी माना जाता है।
नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा होती है। देवी ब्रह्मचारिणी तप की शक्ति का प्रतीक हैं।
नवरात्रि का तीसरा दिन माता चंद्रघंटा को समर्पित है। यह शक्ति माता का शिवदूती स्वरूप है।
नवरात्रि के चौथे दिन की प्रमुख देवी मां कूष्मांडा हैं। देवी कूष्मांडा रोगों को तुरंत नष्ट करने वाली हैं।
पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करती हैं।
चैत्र नवरात्रि के छठे दिन आदिशक्ति श्री दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी की पूजा-अर्चना का विधान है।
मां दुर्गा का सातवां स्वरूप हैं कालरात्रि। चैत्र नवरात्रि के सातवे दिन मां कालरात्रि की पूजा की जाती है।
नवरात्रि के आठवें दिन मां महागौरी की पूजा की जाती है। इनकी भक्ति से हमें मन की शांति भी मिलती है।
नवरात्रि के अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। मां सिद्धिदात्री भक्तों को हर प्रकार की सिद्धि प्रदान करती हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, नवरात्रि में किए गए कुछ विशेष उपायों से धन, नौकरी, स्वास्थ्य, संतान, विवाह, प्रमोशन आदि कई मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं।
बरकत बढ़ाने का उपाय
नवरात्रि में किसी भी दिन सुबह स्नान कर साफ कपड़े में अपने सामने मोती शंख को रखें और उस पर केसर से स्वस्तिक का चिह्न बना दें। इसके बाद इस मंत्र का जाप करें- श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:
मंत्र का जप स्फटिक माला से ही करें। मंत्रोच्चार के साथ एक-एक चावल इस शंख में डालें। इस बात का ध्यान रखें की चावल टूटे हुए ना हो। इस प्रयोग लगातार नौ दिनों तक करें।
इस प्रकार रोज एक माला जाप करें। उन चावलों को एक सफेद रंग के कपड़े की थैली में रखें और 9 दिन के बाद चावल के साथ शंख को भी उस थैली में रखकर तिजोरी में रखें। इस उपाय से घर की बरकत बढ़ सकती है।
धन लाभ के लिए उपाय
नवरात्रि के दौरान किसी भी दिन स्नान आदि करने के बाद उत्तर दिशा की ओर मुख करके पीले आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने तेल के 9 दीपक जला लें। ये दीपक साधनाकाल तक जलते रहने चाहिए।
दीपक के सामने लाल चावल (चावल को रंग लें) की एक ढेरी बनाएं फिर उस पर एक श्रीयंत्र रखकर उसका कुमकुम, फूल, धूप, तथा दीप से पूजन करें।
उसके बाद एक प्लेट पर स्वस्तिक बनाकर उसे अपने सामने रखकर उसका पूजन करें।
श्रीयंत्र को अपने पूजा स्थल पर स्थापित कर लें और शेष सामग्री को नदी में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से आपको अचानक धन लाभ होने के योग बन सकते हैं।
ज्योतिषाचार्य पं. गणेश मिश्रा के अनुसार इस बार कोई भी तिथि क्षय नहीं होगी, जिससे यह नवरात्रि पूरे 9 दिनों की रहेगी, जो शुभ फल देने वाली रहेगी।
चैत्र नवरात्र का महत्व
मान्यताओं के अनुसार चैत्र नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा का प्राकट्य हुआ था और मां दुर्गा के कहने पर ही ब्रह्माजी ने सृष्टि का निर्माण किया था। इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष प्रारंभ होता है। इसके अलावा भगवान विष्णु के सातवें अवतार भगवान राम का जन्म भी चैत्र नवरात्रि में ही हुआ था।
किस दिन कौन-सी तिथि
25 मार्च, बुधवार से चैत्र नवरात्रि की शुरूआत होगी। नवरात्रि के पहले दिन देवी शैलपुत्री की पूजा करनी चाहिए।
26 मार्च, गुरुवार को चैत्र नवरात्रि की द्वितिया तिथि रहेगी। इस दिन देवी ब्रह्मचारिणी की पूजा का विधान है।
नवरात्रि की तृतीया तिथि पर देवी चंद्रघंटा की पूजा करनी चाहिए। ये तिथि इस बार 27 मार्च, शुक्रवार को है।
28 मार्च, शनिवार को चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी तिथि रहेगी। इस दिन देवी कूष्मांडा की पूजा का विधान है।
चैत्र नवरात्रि की पंचमी तिथि को स्कंदमाता की पूजा करने से शुभ फल मिलते हैं। ये तिथि इस बार 29 मार्च, रविवार को है।
30 मार्च, सोमवार को चैत्र नवरात्रि की षष्ठी तिथि है। इस दिन देवी कात्यायानी की पूजा करनी चाहिए।
31 मार्च, मंगलवार को चैत्र नवरात्रि की सप्तमी तिथि पर देवी कालरात्रि की पूजा करें।
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि 1 अप्रैल, बुधवार को है। इस दिन देवी महागौरी की आराधना करनी चाहिए।
2 अप्रैल, गुरुवार को चैत्र नवरात्रि का अंतिम दिन है। इस दिन देवी सिद्धिदात्री की पूजा का विधान है।