भारत के इतिहास में आचार्य चाणक्य का महत्वपूर्ण स्थान है। एक समय जब भारत छोटे-छोटे राज्यों में विभाजित था और विदेशी शासक सिकंदर भारत पर आक्रमण करने के लिए सीमा तक आ पहुंचा था, तब चाणक्य ने अपनी नीतियों से भारत की रक्षा की थी।
उज्जैन. चाणक्य ने अपने प्रयासों और अपनी नीतियों के बल पर एक सामान्य बालक चंद्रगुप्त को भारत का सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य बना दिया और अखंड भारत का निर्माण किया। आचार्य चाणक्य की बताई नीतियां आज के समय में भी प्रासंगिक हैं। आज हम आपको आचार्य चाणक्य की बताई एक खास नीति बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…
यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवाणि परिषेवते।
ध्रुवाणि तस्य नश्यन्ति अध्रुवं नष्टमेव हि।।
अर्थ- जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित का सहारा लेता है, उसका निश्चित भी नष्ट हो जाता है। अनिश्चित तो स्वयं नष्ट होता ही है ।
लाइफ मैनेजमेंट
- जो व्यक्ति निश्चित वस्तु को छोड़कर अनिश्चित वस्तुओं की ओर भागता है, उसके हाथों से दोनों ही वस्तुएं निकल जाती है।
- आचार्य चाणक्य के अनुसार, लालची व्यक्ति के साथ अक्सर ऐसा ही होता है और अंत में वह खाली हाथ ही रह जाता है।
- इसलिए जीवन में निर्धारित लक्ष्य प्राप्त करने के लिए इस प्रकार की गलतियां हमें नहीं करनी चाहिए।
- आचार्य चाणक्य के अनुसार समझदारी इसी में है कि जो वस्तुएं हमारे पास हैं, उन्हीं से संतोष करें।
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