सार
आचार्य चाणक्य द्वारा लिखित नीति शास्त्र में जीवन के कई क्षेत्रों से जुड़ी हर समस्या का समाधान बताया गया है। इतने वर्षों के बाद भी नीति शास्त्र की बातें आज भी लोगों के बीच लोकप्रिय हैं।
उज्जैन. चाणक्य की नीतियां भले ही कठोर लगती हैं परंतु ये मनुष्य को जीवन में सही दिशा देती हैं और आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। आचार्य चाणक्य ने अपनी एक नीति में बताया है कि जीवन में आवश्यकता पूर्ति के लिए धन जरूरी है परंतु धन का कभी अहंकार नहीं करना चाहिए और न ही इसके पीछे भागना चाहिए क्योंकि जीवन में धन से भी महत्वपूर्ण कई और चीजें हैं। आगे जानिए इन चीजों के बारे में…
धर्म
आचार्य चाणक्य के अनुसार धन से भी महत्वपूर्ण होता है धर्म। धन प्राप्ति के लिए कभी भी मनुष्य को धर्म का त्याग नहीं करना चाहिए। धर्म ही व्यक्ति को सही और गलत की पहचान करवाता है। धर्म के मार्ग पर चलने वाला व्यक्ति कभी भी अपने मार्ग से नहीं भटकता है और समाज में सम्मान प्राप्त करता है। सम्मान और धर्म को धन से नहीं खरीदा जा सकता है।
रिश्ते-नाते
जब बात रिश्तों की आए तो उस स्थिति में धन का त्याग करना चाहिए। धन से रिश्ते और उनमें बसा प्रेम समर्पण नहीं खरीदा जा सकता है। जब धन का भी नाश हो जाता है तब उस स्थिति में भी मित्र, परिवार और रिश्ते ही खराब समय में सहारा बनते हैं। इसलिए कभी भी धन के लिए रिश्तों का त्याग नहीं करना चाहिए। धन के अभाव में जीवन यापन किया जा सकता है परंतु प्रेम के बिना जीवन नीरस हो जाता है।
आत्म सम्मान
किसी के लिए भी उसका आत्म सम्मान सबसे महत्वपूर्ण होता है। धन से आत्म सम्मान नहीं खरीद सकते हैं। इसलिए जब बात आत्मसम्मान की हो तो धन का त्याग कर देना चाहिए। खोए हुए धन को प्राप्त किया जा सकता है लेकिन आत्म सम्मान पर चोट लगने पर व्यक्ति को एक पल की भी शांति प्राप्त नहीं होती है।
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