माघ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को षटतिला एकादशी कहते हैं। इस तिथि को बहुत ही शुभ और श्रेष्ठ माना गया है। इस बार ये तिथि 7 फरवरी, रविवार को है।
उज्जैन. इस दिन काले तिल से भगवान विष्णु की पूजन का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन तिल का दान करने से जाने-अनजाने हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं। साथ ही कई गुना पुण्य भी मिलता है।
काशी के ज्योतिषाचार्य पं. गणेश प्रसाद मिश्र के अनुसार षटतिला एकादशी पर शुभ मुहुर्त में भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना, दान-पुण्य व कथा का स्मरण करना श्रेष्ठ माना गया है। षटतिला एकादशी की सुबह 07:55 से 09:25 तक, सुबह 12:20 से दोपहर 01:05 तक, दोपहर 02:34 से 03:18 तक, शाम 06:05 से 06:30 तक श्रेष्ठ मुहूर्त है।
- षट्तिला एकादशी पर भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए व्रत रखना चाहिए। व्रत करने वालों को गंध, फूल, धूप दीप, पान सहित विष्णु भगवान की षोड्षोपचार (सोलह सामग्रियों) से पूजा करनी चाहिए।
- उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाना चाहिए। रात को तिल से 108 बार ऊं नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा इस मंत्र से हवन करना चाहिए। भगवान की पूजा कर इस मंत्र से अर्घ्य दें-
सुब्रह्मण्य नमस्तेस्तु महापुरुषपूर्वज।
गृहाणाध्र्यं मया दत्तं लक्ष्म्या सह जगत्पते।।
- रात को भगवान के भजन करें, अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन करवाएं। इसके बाद ही स्वयं तिल युक्त भोजन करें। यह व्रत सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला है।
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