
उज्जैन. इस बार दशहरा (Dussehra 2021) सर्वार्थ सिद्धि, कुमार एवं रवि जैसे महा योग में मनाया जाएगा। सर्वार्थ सिद्धि योग एवं कुमार योग सूर्योदय से सुबह 9.16 तक तथा रवि योग पूरे दिन रहेगा। इस दिन सूर्य कन्या राशि और चंद्रमा मकर राशि में होगा। सुबह 9.16 मिनट तक श्रवण नक्षत्र रहेगा, जो कि बहुत शुभ माना जाता है इसके बाद धनिष्ठा नक्षत्र रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 1.52 से 2.35 मिनट तक रहेगा।
इस विधि से करें दुर्गा प्रतिमा और जवारों का विसर्जन
विसर्जन के पूर्व दुर्गा प्रतिमा का गंध, चावल, फूल, आदि से पूजा करें तथा इस मंत्र से देवी की आराधना करें-
रूपं देहि यशो देहि भाग्यं भगवति देहि मे।
पुत्रान् देहि धनं देहि सर्वान् कामांश्च देहि मे।।
महिषघ्नि महामाये चामुण्डे मुण्डमालिनी।
आयुरारोग्यमैश्वर्यं देहि देवि नमोस्तु ते।।
इस प्रकार प्रार्थना करने के बाद हाथ में चावल व फूल लेकर देवी भगवती का इस मंत्र के साथ विसर्जन करना चाहिए-
गच्छ गच्छ सुरश्रेष्ठे स्वस्थानं परमेश्वरि।
पूजाराधनकाले च पुनरागमनाय च।।
इस प्रकार पूजा करने के बाद दुर्गा प्रतिमा का विसर्जन कर देना चाहिए, लेकिन जवारों को फेंकना नही चाहिए। उसको परिवार में बांटकर सेवन करना चाहिए। इससे नौ दिनों तक जवारों में व्याप्त शक्ति हमारे भीतर प्रवेश करती है। माता की प्रतिमा, जिस पात्र में जवारे बोए गए हो उसे तथा इन नौ दिनों में उपयोग की गई पूजन सामग्री का श्रृद्धापूजन विसर्जन कर दें।
इस विधि से करें शस्त्र पूजन
- दशहरे (Dussehra 2021) पर विजया नाम की देवी की पूजा की जाती है। यह पर्व शस्त्र द्वारा देश की सीमाओं की रक्षा करने वाले एवं कानून की रक्षा करने वाले अथवा शस्त्र का किसी अन्य कार्य में उपयोग करने वालें लोगों लिए महत्वपूर्ण होता है।
- इस दिन यह सभी अपने शस्त्रों की पूजा करते है, क्योंकि यह शस्त्र ही प्राणों की रक्षा करते हैं तथा भरण पोषण का कारण भी हैं। इन्ही अस्त्रों में विजया देवी का वास मान कर इनकी पूजा की जाती है।
- सबसे पहले शस्त्रों के ऊपर ऊपर जल छिड़क कर पवित्र किया जाता है फिर महाकाली स्तोत्र का पाठ कर शस्त्रों पर कुंकुम, हल्दी का तिलक लगाकर हार पुष्पों से श्रृंगार कर धूप-दीप कर मीठा भोग लगाया जाता है।
- इसके बाद दल का नेता कुछ देर के लिए शस्त्रों का प्रयोग करता है। इस प्रकार से पूजन कर शाम को रावण के पुतले का दहन कर विजया दशमी का पर्व मनाया जाता है।
दशहरा के बारे में ये भी पढ़ें
दशहरा: किन-किन योद्धाओं ने किया था रावण को पराजित, किस गलती के कारण हुआ सर्वनाश?
रावण ने देवी सीता को महल में न रखकर अशोक वाटिका में क्यों रखा? ये श्राप था इसका कारण
भगवान ब्रह्मा के वंश में हुआ था रावण का जन्म, युद्ध में यमराज को भी हटना पड़ा पीछे