Ganesh Chaturthi 2022: हाथी का सिर ही क्यों जोड़ा गया गणेशजी के धड़ पर, क्या जानते हैं आप ये रहस्य?

Ganesh Chaturthi 2022: भगवान श्रीगणेश सभी देवताओं में श्रेष्ठ कहे जाते हैं इसलिए हर शुभ काम से पहले उनकी पूजा की जाती है। इस बार 31 अगस्त, बुधवार को गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन से गणेश उत्सव का भी आरंभ होगा।
 

उज्जैन. भगवान श्रीगणेश की पूजा भारत ही नहीं बल्कि थाईलैंड और इंडोनेशिया आदि देशों में भी होती है। श्रीगणेश एक ऐसे देवता हैं जो अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाते हैं और उनकी हर इच्छा पूरी कर देते हैं। हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी (Ganesh Chaturthi 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 31 अगस्त, बुधवार को है। मान्यता है कि इसी तिथि पर श्रीगणेश का जन्म हुआ था। श्रीगणेश के जन्म की कथा भी बहुत रोचक है। आज हम आपको इसी कथा के बारे में विस्तार पूर्वक बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

जब देवी पार्वती ने किया श्रीगणेश का निर्माण 
शिवमहापुराण के अनुसार, माता पार्वती को श्रीगणेश का निर्माण करने का विचार उनकी सखियां जया और विजया ने दिया था। जया-विजया ने पार्वती से कहा कि “नंदी आदि सभी गण सिर्फ महादेव की आज्ञा का ही पालन करते हैं। अत: आपको भी एक गण की रचना करनी चाहिए जो सिर्फ आपकी आज्ञा का पालन करे“ इस प्रकार विचार आने पर माता पार्वती ने श्रीगणेश की रचना अपने शरीर के मैल से की और उसमें प्राण डाल दिए। इस तरह गौरी पुत्र श्रीगणेश का जन्म हुआ।

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जब महादेव ने काटा श्रीगणेश का मस्तक
एक दिन देवी पार्वती ने श्रीगणेश को आदेश दिया कि “मेरी आज्ञा के बिना कोई भी अंदर न आने पाए।” माता की आज्ञा सुनकर बालक गणेश बाहर पहरा देने लगे। कुछ देर बाद शिवजी के गण वहां आए और अंदर जाने का प्रयास करने लगे। तब श्रीगणेश ने उन सभी को बाहर ही रोक दिया। ये बात जाकर उन्होंने महादेव को बताई। उस बालक ने महादेव को भी बाहर रोक दिया। क्रोध में आकर शिवजी ने अपने त्रिशूल से उसका मस्तक काट दिया। 

जब माता पार्वती को आया क्रोध
जब माता पार्वती ने अपने पुत्र गणेश को इस तरह प्राणहीन देखा तो वे अत्यंत क्रोधित हो गई। माता के इस रूप को देखकर देवता भी डरने लगे। महादेव के पूछने पर उन्होंने गणेश जन्म का पूरा प्रसंग भी उन्हें बताया। पूरी बात जानकर शिवजी को भी शोक हुआ और उन्होंने उस बालक को पुन: जीवित करने का निश्चय किया। लेकिन बालक गणेश को जीवित करने के लिए एक सिर की आवश्यकता थी। 

जब भगवान विष्णु लेकर आए हाथी का सिर
शिवजी ने भगवान विष्णु से कहा कि “उत्तर दिशा में जाओ और वहां जो भी मां अपने बच्चे की तरफ पीठ कर के सोई हो उस बच्चे का सिर ले आना। विष्णुजी ने ऐसा ही किया और उन्हें एक हथिनी इस प्रकार दिखी को उसका मुंह बच्चे की ओर नहीं था। भगवान विष्णु उस हाथी के बच्चे लेकर आए, जिसे भगवान शिव ने बालक गणेश के धड़ से जोड़ दिया। साथ ही उसमें प्राण डाल दिए। इस तरह भगवान श्रीगणेश को जीवनदान मिला।


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