Ganga Dussehra 2022: घर में रखें गंगा जल तो ध्यान रखें ये बातें, नहीं तो उठाना पड़ सकता है नुकसान

धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गंगा दशमी (Ganga Dussehra 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 9 जून, गुरुवार को है।

उज्जैन. पंचांग भेद के कारण कुछ स्थानों पर ये पर्व 10 जून, शुक्रवार को भी मनाया जाएगा। हिंदू धर्म में सदियों से गंगा जल को परम पवित्र और पूजनीय माना गया है। यही कारण है कि गंगा को देवी की तरह पूजा जाता है। अधिकांश लोग अपने घर में पूजा-पाठ व अन्य कारणों से भी भी गंगाजल रखते हैं। गंगाजल के शुभ असर से घर में बरकत बनी रहती है और घर पर किसी नकारात्मक ऊर्जा का असर नहीं होता है। घर में गंगाजल रखते समय कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए, नहीं तो इसके अशुभ परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। गंगा दशहरा के मौके पर जानि  जानिए कौन-सी हैं वो बातें…

1. अधिकांश घरों में लोग प्लास्टिक की बोतल में गंगाजल रखते हैं, ऐसा करना ठीक नहीं होता। धर्म ग्रंथों के अनुसार, गंगाजल को हमेशा तांबे या चांदी के बर्तन में रखना चाहिए। इससे इसका शुभ प्रभाव बना रहता है। 
2. घर में जहां कहीं भी गंगाजल रखें, वहां साफ-सफाई का ध्यान विशेष रूप से रखें। गंगा जल स्वयं देवी गंगा का ही स्वरूप है। इस बात का ध्यान रखें। गंगाजल कितनी भी पुराना क्यों न हो वो हमेशा पूजनीय होता है और इसके आसपास पवित्रता बनाए रखें।
3. जिस कमरे में गंगाजल रखें, वहां तामसिक चीजों जैसे- मांस, शराब व अन्य गलत चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए। इससे गंगा जल की सात्विकता खत्म होती है और इसका निगेटिव असर हमारे जीवन पर हो सकता है। 
4. कुछ विशेष अवसरों पर जैसे एकादशी, पूर्णिमा, अमावस्या आदि पर घर में गंगाजल की कुछ बूंदों का छिड़काव करते रहना चाहिए। इससे घर में पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है। इसका शुभ प्रभाव घर में रहने वाले लोगों पर भी होता है।
5. इस बात का ध्यान रखें कि गंगाजल को कभी भी अंधेरे स्थान पर न रखें और न ही कभी इसे गंदे ये जूठे हाथों से छुएं। ऐसा करने से इसकी पॉजिटिविटी खत्म हो जाती है और ये एक सामान्य जल के समान हो जाता है।
6. प्रत्येक शनिवार को एक लोटे में साफ जल भरें और उसमें थोड़ा सा गंगाजल डाल लें। ये पानी पीपल पर चढ़ाएं। ऐसा करने से पितृ दोष, शनि दोष, व अन्य सभी तरह के दोषों से भी मुक्ति मिल सकती है।
7. गंगा जल हो या फिर किसी दूसरी पवित्र नदी का जल हो, उसे हमेशा ईशान कोण में ही रखें। वास्तु में इस दिशा को सबसे पवित्र माना गया है।


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