Hanuman Ashtami 2022: दिसंबर 2022 में किस दिन मनाया जाएगा हनुमान अष्टमी का पर्व?

Hanuman Ashtami 2022: पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर हनुमान अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को हनुमानजी के विजय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। कई मान्यताएं इस पर्व से जुड़ी हुई हैं। इस बार ये पर्व 16 दिसंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा।
 

Manish Meharele | Published : Dec 12, 2022 3:58 AM IST / Updated: Dec 16 2022, 08:07 AM IST

उज्जैन. हिंदू धर्म में हनुमानजी को सबसे बलशाली देवता माना जाता है। इनकी पूजा से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं और भय का नाश होता है। कई विशेष अवसरों पर इनकी पूजा करने का भी विधान है। हनुमान अष्टमी (Hanuman Ashtami 2022) भी एक ऐसा ही अवसर है। हनुमान अष्टमी का पर्व पौष कृष्ण अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 16 दिसंबर, शुक्रवार को है। इस पर्व से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। आगे जानिए क्यों मनाते हैं हनुमान अष्टमी का पर्व…

विजय उत्सव है हनुमान अष्टमी का पर्व (Why celebrate the festival of Hanuman Ashtami?)
- पौराणिक कथाओं के अनुसार, रावण के कहने पर अहिरावण ने श्रीराम और लक्ष्मण को पाताल लोक में कैद कर लिया। अहिरावण उनकी बलि देना चाहता था, लेकिन हनुमानजी ने अपने पराक्रम से अहिरावण का वध कर दिया। 
- युद्ध में विजय होने के बाद हनुमानजी ने श्रीराम व लक्ष्मण को अहिरावण की कैद से छुड़ा लिया। इस युद्ध में हनुमानजी काफी थक गए तब उन्होंने अवंतिका नगरी (वर्तमान उज्जैन) में जाकर कुछ देर आराम किया। 
- उस दिन पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि थी। भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को वरदान दिया कि इस तिथि पर जो भी भक्त तुम्हारी पूजा करेगा, उसकी सभी मनोकामना पूरी होगी और भय दूर होगा। 
- भगवान श्रीराम ने हनुमानजी को ये आशीर्वाद भी दिया कि तुम्हारे इस पराक्रम को विजय उत्सव के रूप में मनाया जाएगा। तभी से हनुमान अष्टमी का पर्व विजय उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है।
- वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन उज्जैन और इसके आस-पास के क्षेत्रों में इस उत्सव की विशेष धूम रहती है। इस दिन हनुमान मंदिरों पर विशेष सजावट की जाती है और भंडारों का आयोजन भी किया जाता है।

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एक कथा ये भी है
एक अन्य कथा के अनुसार, हनुमानजी ने भगवान को प्रसन्न करने के लिए कठोर तपस्या की। तब पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर महादेव ने हनुमानजी को दर्शन दिए। हनुमानजी की तपस्या से प्रसन्न होकर महादेव ने वरदान दिया कि इस तिथि पर तुम्हारी विशेष पूजा की जाएगी। जो भी भक्त तुम्हारी पूजा करेगा उसकी हर इच्छा पूरी होगी। तभी से ये पर्व मनाया जा रहा है। 


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