Hanuman Ashtami 2022: हनुमानजी की पूजा के लिए साल में कई खास मौके आते हैं। हनुमान अष्टमी भी इनमें से एक है। इस बार ये पर्व 16 दिसंबर, शुक्रवार को मनाया जाएगा। ये पर्व हनुमानजी के विजय उत्सव के रूप में मनाया जाता है। इस पर्व से कई कथाएं जुड़ी हैं।
उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हनुमान अष्टमी (Hanuman Ashtami 2022) का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 16 दिसंबर, शुक्रवार को है। इस पर्व को मनाने के पीछे कई मान्यताएं और कथाएं हैं। ऐसा कहा जाता है कि ये पर्व हनुमानजी का विजय उत्सव का प्रतीक है। इस दिन हनुमानजी की पूजा विशेष रूप से की जाती है। आम धारण है कि महिलाओं को हनुमानजी की पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि वे ब्रह्मचारी हैं। लेकिन इस नियम के बारे में किसी धर्म ग्रंथ में नहीं लिखा है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, महिलाएं अगर हनुमानजी की पूजा करना चाहती हैं तो कर सकती हैं, लेकिन उन्हें कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। आगे जानिए कौन-सी हैं वो बातें…
इस रूप की पूजा करें महिलाएं
महिलाओं को हनुमानजी के वीर रूप की नहीं बल्कि दास रूप की पूजा करनी चाहिए। वीर रूप से अर्थ है ऐसी प्रतिमा या चित्र जिसमें हनुमानजी की वीरता दिखाई जा रही हो जैसे पहाड़ उठाकर ले जाते हनुमानजी या कंधे पर गदा लिए हनुमानजी। महिलाओं को हमेशा दास हनुमान यानी शांत मुद्रा में बैठे हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए। इसी से इन्हें शुभ फलों की प्राप्ति होती है।
प्रतिमा को स्पर्श न करें
महिलाओं की किसी भी स्थिति में हनुमानजी की प्रतिमा को स्पर्श नहीं करना चाहिए। सिर्फ दूर से ही हाथ जोड़कर दर्शन करें और दीपक आदि लगाएं। भोग आदि भी लगाना चाहती हैं तो पुजारी या पंडित को साम्रगी दें, ये काम भी स्वयं न करें। महिलाएं हनुमानजी को जो भी चढ़ाएं चाहें, वो उनकी प्रतिमा के सामने रख दें।
किसी तरह का कोई नियम न बनाएं
महिलाओं को हनुमानजी की पूजा से संबंधित कोई नियम नहीं बनना चाहिए क्योंकि जब महिलाएं रजस्वला स्थिति में होती हैं तो वे किसी तरह की पूजा-पाठ, मंत्र जाप आदि नहीं कर पातीं। ऐसे में नियम टूट जाते हैं और हनुमानजी की पूजा के नियम तोड़ना शुभ नहीं माना जाता।
हनुमान चालीसा का पाठ भी कर सकती हैं महिलाएं
महिलाओं को लेकर ये प्रश्न भी उठता है कि क्या वे हनुमान चालीसा या सुंदर कांड का पाठ कर सकती हैं या नहीं। तो धर्म ग्रंथों में इसको लेकर भी कोई मनाही नहीं है। शुद्ध अवस्था यानी स्नान आदि करने के बाद महिलाएं हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का पाठ कर सकती हैं। लेकिन महिलाएं इसको लेकर कोई नियम न बनाएं तो अच्छा है।
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