सार

Hanuman Ashtami 2022: हनुमानजी को कलयुग का जीवंत देवता कहा जाता है यानी वे एकमात्र ऐसे देवता हैं जो कलयुग में भी जीवित हैं। हनुमानजी की पूजा करने से हर तरह की परेशानियां दूर हो सकती हैं और घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
 

उज्जैन. हनुमानजी की पूजा करने के लिए साल में कई विशेष अवसर आते हैं। हनुमान अष्टमी (Hanuman Ashtami 2022) भी इनमें से एक है। ये पर्व पौष मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार ये तिथि 16 दिसंबर, शु्क्रवार को है। वैसे तो ये पर्व पूरे देश में मनाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के उज्जैन व इंदौर व इसके आस-पास के क्षेत्रों में इस पर्व की विशेष मान्यता है। इस दिन हनुमान मंदिरों में विशेष साज-सज्जा व पूजा के आयोजन किए जाते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस दिन अगर हनुमानजी की पूजा नीचे बताई गए तरीके से की जाए तो साधक की हर मनोकामना पूरी हो सकती है। आगे जानें हनुमानजी की पूजा का सरल तरीका…

इस विधि से करें हनुमानजी की पूजा
- हनुमान अष्टमी की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद पूजा का संकल्प लें। अगर आप इस दिन व्रत भी करना चाहते हैं तो इसका संकल्प भी लें।
- इसके बाद लाल या सफेद धोती या वस्त्र पहनकर घर के किसी हिस्से को साफ करें और वहां गंगा जल या गौमूत्र छिड़ककर पवित्र करें।
- उस स्थान पर एक पटिया यानी यानी चौकी स्थापित करें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। इसके ऊपर हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- स्वयं भी आसन लगाकर बैठ जाएं और शुद्ध घी की दीपक जलाएं। हनुमानजी की प्रतिमा पर कुमकुम से तिलक लगाएं और माला पहनाएं।
- इसके बाद अबीर, गुलाल आदि चीजें एक-एक कर चढ़ाते रहें। बिना तंबाकू का मीठा पान अर्पित करें। इत्र भी हनुमानजी को चढ़ाएं।
- हनुमानजी को शुद्ध वस्तु का भोग लगाएं। इसके लिए घर में देशी घी की चूरमा बनाएं। अगर ये संभव न हो तो गुड़-चने का भोग भी लगा सकते हैं।
- इस प्रकार पूजा करने के बाद उसी स्थान पर बैठकर 7 बार हनुमान चालीसा का पाठ करें। मन में कोई इच्छा हो तो उसे पूरी करने के लिए प्रार्थना करें।
- पूजा करने के बाद अंत में आरती करें। इसके बाद प्रसाद सभी भक्तों को बांट दें। दिन में सिर्फ एक समय फलाहार करें और मन ही मन में जय श्रीराम का जाप करते रहें।    
- इस प्रकार जो व्यक्ति हनुमान अष्टमी पर पूजा और व्रत करता है, उसकी सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं और सुख-समृद्धि बनी रहती है। 


हनुमानजी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे । रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई । संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥ दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए । लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई । जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥ दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
लंका जारि असुर संहारे । सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे । लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥ दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे । अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे । दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥ दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें । जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई । आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥ दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे । बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई । तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की । दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥


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