मध्य प्रदेश के इस मंदिर में 18 दिसंबर तक लगेगा अग्नि मेला, दहकते हुए अंगारों पर चलेंगे लोग, ये है मान्यता

Published : Dec 10, 2021, 11:24 AM ISTUpdated : Dec 10, 2021, 11:29 AM IST
मध्य प्रदेश के इस मंदिर में 18 दिसंबर तक लगेगा अग्नि मेला, दहकते हुए अंगारों पर चलेंगे लोग, ये है मान्यता

सार

हमारे देश में अनेक चमत्कारी मंदिर हैं। ऐसा ही एक मंदिर मध्य प्रदेश के सागर जिले के देवरी में भी है। इसे श्रीदेवखंडेराव मंदिर (Shrikhanderao Temple) के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां हर साल अग्नि मेले का आयोजन किया जाता है।

उज्जैन. मध्य प्रदेश के सागर जिले के देवरी (Deori) नामक स्थान पर श्रीदेवखंडेराव (Shrikhanderao Temple) का प्रसिद्ध मंदिर है। इस मंदिर से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं हैं। इस मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां हर साल अग्नि मेले का आयोजन किया जाता है। जिसमें लोग दहकते हुएं अंगारों पर चलते हैं और उन्हें कुछ भी नहीं होता। लोग इसे भगवान की कृपा समझते हैं। ये परंपरा यहां कई सौ सालों से निभाई जा रही है, लेकिन आज तक कोई हादसा नहीं हुआ। यहां स्थापित श्रीदेवखंडेराव की प्रतिमा को शिवजी के रूप में पूजा जाता है। इस प्रतिमा से जुड़ी कई मान्यताएं यहां प्रचलित हैं। 

18 दिसंबर तक चलेगा अग्नि मेला
श्रीदेवखंडेराव मंदिर में चलने वाला अग्नि मेला चंपा षष्ठी से अगहन पूर्णिमा तक चलता है। इस बार मेले की शुरूआत 9 दिसंबर से हो चुकी है, इसका समापन 18 दिसंबर को होगा। इस मेले में रोज हजारों लोग नंगे पैर दहकते हुए अंगारों पर चलकर खुद को धन्य मानते हैं। मान्यता है कि इस एक बार जब राजा यशवंतराव के पुत्र बीमार हो गए और काफी इलाज करने के बाद भी स्वस्थ नहीं हुए तो उन्होंने अंगारों पर चलकर भगवान से प्रार्थना की। इससे उनका पुत्र ठीक हो गया। बाद में हर साल इस तरह के मेले का आयोजन किया जाने लगा। पहले यह मेला 3 दिन लगता था लेकिन लोगों की आस्था को देखते हुए इसको 10 दिन के लिए किया गया।

मंदिर का इतिहास
- श्रीखंडेराव जी के मंदिर का निर्माण 15 से 16 वीं सदी का माना जाता है। ऐसा कहते हैं कि जब बुंदेलखंड पर मुगलों ने आक्रमण किया तब राजा छत्रसाल ने बाजीराव पेशवा से मदद मांगी। बाजीराव तुंरत उनकी मदद को आए और उन्होंने मुगलों को यहां से खदेड़ दिया। 
- प्रसन्न होकर राजा छत्रसाल ने देवपुरी अर्थात देवरी का राज्य उन्हें सौंप दिया। बाजीराव पेशवा ने यशवंतराव को यहां का राजा नियुक्त किया। यशवंतराव के कुलदेवता खंडेराव मार्तंड भैरव थे, जिनका मंदिर महाराष्ट्र के जेजोरी में हैं। 
- राजा यशवंतराव हर साल वहां दर्शन करने जाते थे। जब राजा यशवंतराव वृद्ध हो गए तब देव खंडेराव ने उनको सपने में दर्शन दिए और कहां कि जमीन में इस स्थान पर मेरी प्रतिमा इतनी गहराई पर है। तुम उसे निकालकर स्थापित करो। राजा यशवंतराव ने ऐसा ही किया और एक भव्य मंदिर बनवाकर उस प्रतिमा को स्थापित कर दिया। 
 

ये खबरें भी पढ़ें...
 

शौर्य और पुरुषार्थ का प्रतीक है कटार और तलवार, विवाह के दौरान दूल्हा क्यों रखता है इसे अपने पास?

परंपरा: व्रत करने से पहले संकल्प अवश्य लें और इन 11 बातों का भी रखें ध्यान

विवाह के दौरान दूल्हा-दुल्हन को लगाई जाती है हल्दी, जानिए क्या है इस परंपरा का कारण

पैरों में क्यों नहीं पहने जाते सोने के आभूषण? जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक कारण

पूजा के लिए तांबे के बर्तनों को क्यो मानते हैं शुभ, चांदी के बर्तनों का उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए?

PREV

Recommended Stories

Aaj Ka Panchang 8 दिसंबर 2025: आज कौन-सी तिथि और नक्षत्र? जानें दिन भर के मुहूर्त की डिटेल
Rukmini Ashtami 2025: कब है रुक्मिणी अष्टमी, 11 या 12 दिसंबर?