21 दिसंबर तक रहेगी हेमंत ऋतु, ग्रंथों में बताया गया है इसका महत्व, पितरों की करें पूजा

हिंदू पंचांग के अनुसार एक साल में 6 ऋतुएं होती हैं। इनके नाम हैं वर्षा, ग्रीष्म, शरद, हेमंत, शिशिर और वसंत। इस समय हेमंत ऋतु चल रही है, जो 21 दिसंबर तक रहेगी। धर्म ग्रंथों में इस ऋतु का विशेष महत्व बताया गया है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 10, 2021 4:52 AM IST / Updated: Dec 10 2021, 10:27 AM IST

उज्जैन. धर्म ग्रंथों में हेमंत को पितरों की ऋतु कहा गया है। इसलिए पुराणों में बताया गया है कि अगहन महीने में पितरों के लिए विशेष पूजा और दान करना चाहिए, जिससे इन्हें प्रसन्नता होती है। ये दक्षिणायन की आखिरी ऋतु भी है। इसलिए अगहन महीने में इस ऋतु से जुड़ी पंरपराएं बनाई गई हैं। इसके बाद शिशिर ऋतु के साथ उत्तरायण भी शुरू हो जाता है। इस समय ठंड का प्रकोप बढ़ने लगता है।

दक्षिणायन की आखिरी ऋतु
ठंड के शुरुआती दिनों में हेमंत ऋतु होती है। इस दौरान खाई गई चीजों से शरीर की ताकत बढ़ने लगती है। इस ऋतु में सूर्य, वृश्चिक और धनु राशियों में रहता है। मंगल और बृहस्पति की राशियों में सूर्य के आ जाने से मौसम में अच्छे बदलाव होने लगते हैं। इसलिए भूख भी बढ़ने लगती है। इस ऋतु के खत्म होते ही सूर्य उत्तरायण हो जाता है। यानी उत्तरी गोलार्ध की ओर बढ़ने लगता है।

हेमंत ऋतु का धार्मिक महत्व
- हेमंत को पितरों की ऋतु भी कहा गया है। इस दौरान सूर्योदय से पहले उठकर स्नान और पूजा-पाठ करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। 
- इस ऋतु में सूर्य वृश्चिक और धनु राशि में रहता है। सूर्य की इस स्थिति के प्रभाव से धर्म और परोपकार के विचार आते हैं। 
- साथ ही इस ऋतु के दौरान मन भी शांत रहता है। शीतल वातावरण में मन प्रसन्न भी रहता है मन की ये स्थिति पूजा-पाठ और भगवद भजन के लिए अनुकूल मानी गई है। 
- इसलिए इस ऋतु में नदी स्नान और श्रीकृष्ण पूजा के साथ ही अन्य पूजा-पाठ एवं स्नान दान की परंपराए बनाई गई हैं।

सेहत के नजरिये से भी खास
- हेमंत को रोग दूर करने वाली ऋतु कहा गया है। इस ऋतु में डाइजेशन अच्छा होने लगता है। भूख बढ़ने लगती है। 
- साथ ही इस दौरान खाई गई सेहतमंद चीजें भी शरीर को जल्दी फायदा देती हैं। इसलिए इस ऋतु में शारीरिक ताकत बढ़ने लगती है। 
- इस ऋतु में ताजी हवा और सूर्य की पर्याप्त रोशनी सेहत के लिए फायदेमंद होती है। यही कारण है कि इस ऋतु में सुबह नदी स्नान का विशेष महत्व धर्म शास्त्रों में लिखा है। 
- सुबह उठकर नदी में स्नान करने से ताजी हवा शरीर में स्फूर्ति का संचार करती है। इस प्रकार के वातावरण से कई शारीरिक बीमारियां खत्म हो जाती हैं।

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