सार
Diwali 2024 Tradition: इस बार दिवाली का पर्व 31 अक्टूबर, गुरुवार को मनाया जाएगा। दिवाली से जुड़ी कईं परंपराएं भी हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को जानकारी है। ये परंपराएं हजारों सालों से निभाई जा रही हैं।
Diwali 2024 Lakshmi Puja Mai Kyo Likhte Hai Shubh-Laabh: 31 अक्टूबर, गुरुवार को दिवाली है। इस दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर देवी लक्ष्मी समुद्र मंथन में से प्रकट हुई थी। इस पर्व से जुड़ी कईं परंपराएं भी हैं। दिवाली की शाम को लक्ष्मी पूजन करते समय स्वस्तिक का चिह्न बनाया जाता है और इसके आस-पास शुभ-लाभ लिखा जाता है। ऐसा क्यों करते हैं, इसके बारे में कम ही लोगों को पता है। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…
ये है दिवाली से जुड़ी परंपरा
दिवाली पर लक्ष्मी पूजन करते समय सिंदूर या कुमकुम से स्वस्तिक का चिह्न बनाया जाता है और इसके आस-पास शुभ लाभ लिखा जाता है। दरअसल स्वस्तिक का चिह्न भगवान श्रीगणेश का प्रतीक है। दिवाली पर पूजा करते समय ये चिह्न विशेष रूप से बनाया जाता है। इससे लक्ष्मी पूजन की सार्थकता बनी रहती है।
श्रीगणेश के पुत्र हैं शुभ-लाभ
दिवाली पूजन करते समय स्वस्तिक के चिह्न के आस-पास शुभ-लाभ लिखने की परंपरा भी है। ये नाम भगवान श्रीगणेश के दोनों पुत्रों के हैं। धर्म ग्रंथों में शुभ को क्षेम भी कहा गया है। शुभ का अर्थ है जो सही अर्थों में कल्याण करने वाला हो और लाभ का अर्थ है ईमानदारी से अर्जित पूंजी। जब ये दोनों चीजें हमारे जीवन में होती है तभी हमारा जीवन सुखमय होता है।
इसलिए लिखते हैं शुभ-लाभ
दिवाली पूजन में शुभ-लाभ लिखने का अर्थ है कि देवी लक्ष्मी की कृपा से हमें शुभ कर्म करने की शक्ति प्राप्त हो, जिससे कि हमारा धन सुरक्षित रहे और जीवन में खुशहाली बनी रहे। दिवाली मुख्य रूप से धन की देवी की पूजा का पर्व है। धन यदि ईमानदारी का न हो तो वह किसी काम का नहीं इसलिए इस समय ऐसे धन की आशा की जाती है जो पूरी तरह ईमानदारी से कमाया गया हो।
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