Hindu Tradition: जन्म के बाद क्यों जरूरी है बच्चे का मुंडन संस्कार, सिर पर क्यों लगाई जाती है हल्दी?

Hindu Tradition: हिंदू धर्म में परंपराओं का खास महत्व है। जब भी कोई शुभ कार्य किया जाता है तो उसमें कई परंपराओं का पालन भी किया जाता है। इन परंपराओं के पीछे कोई न कोई धार्मिक, वैज्ञानिक या मनोवैज्ञानिक कारण जरूर छिपा होता है।
 

उज्जैन. हिंदू धर्म में 16 प्रमुख संस्कार बताए गए हैं। इनमें से मुंडन संस्कार भी एक है। इस संस्कार के अंतर्गत बच्चों का मुंडन किया जाता है। (Hindu Tradition) शिशु की उम्र के पहले वर्ष के अंत में या तीसरे, पांचवें या सातवें वर्ष के पूर्ण होने पर बच्चे के बाल उतारे जाते हैं। इस संस्कार को वपन क्रिया संस्कार या चूड़ाकर्म संस्कार भी कहा जाता है। इसके बाद शिशु के सिर पर दही-मक्खन लगाकर स्नान करवाया जाता है व अन्य मांगलिक क्रियाएं की जाती हैं। इसका संस्कार का उद्देश्य शिशु का बल, आयु व तेज की वृद्धि करना है। आगे जानिए क्यों जरूरी है मुंडन संस्कार व इससे जुड़ी अन्य खास बातें…

इसलिए जरूरी है बच्चे का मुंडन संस्कार? (Why is Mundan Sanskar necessary?)
हिंदू धर्म में कोई भी संस्कार बिना कारण नहीं किया जाता। मुंडन संस्कार के पीछे भी कई कारण छिपे हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि जन्म के बाद शिशु के बालों में कई तरह की अशुद्धियां होती हैं, जिनका प्रभाव बच्चे के मनो-मस्तिष्क और सेहत पर भी पड़ता है। इस दोष को दूर करने के लिए ही बच्चों का मुंडन करवाया जाता है। धार्मिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो मुंडन संस्कार के बाद ही बच्चे का बौद्धिक विकास ठीक ढंग से हो पाता है।

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सिर पर क्यों लगाई जाती है हल्दी?
मुंडन के बाद बच्चे के सिर पर हल्दी भी लगाई जाती है। हल्दी को हिंदू धर्म में बहुत ही पवित्र माना जाता है। इसे गुरु ग्रह से जोड़कर देखा जाता है जो कि शुभ कार्यों के कारक है। मुंडन संस्कार एक पवित्र परंपरा है इसलिए बच्चे के सिर पर हल्दी लगाकर उसके उज्जवल भविष्य की कामना की जाती है। इसके अलावा हल्दी एक एंटीबायोटिक की तरह भी काम करती है। मुंडन संस्कार के बाद सिर पर हल्दी लगाकर बच्चे को बीमारियों से बचाया जाता है।

सिर पर क्यों बनाते हैं स्वस्तिक का निशान?
हिंदू धर्म में बच्चे के मुंडन संस्कार के बाद सिर पर हल्दी का लेप किया जाता है और उसके बाद कुंकुम से स्वस्तिक बनाया जाता है। स्वस्तिक एक पवित्र निशान है जिसे श्रीगणेश का प्रतीक भी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, हमारे मस्तक में सहस्रार चक्र होता है, उसी स्थान पर स्वस्तिक बनाया जाता है। कारण यह है कि यही हमारे शरीर का सबसे मुख्य चक्र होता है जो शरीर को नियंत्रित करता है।

 

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