Mahabharata: किस देवता के अवतार थे अभिमन्यु, क्यों जन्म से पहले ही तय हो गई थी उनकी मृत्यु?

महाभारत (Mahabharata) के अनुसार, जब धरती पर अधर्म बढ़ने लगा तब सभी देवताओं ने धरती पर मनुष्य रूप में जन्म लिया और कुरुक्षेत्र के मैदान में असुरी शक्तियों का अंत किया। इस युद्ध में कई वीरों ने बलिदान दिया। उन्हीं में से एक वीर अभिमन्यु (Abhimanyu) थे। ये अर्जुन (Arjuna) और सुभद्रा के पुत्र थे और श्रीकृष्ण (Sri Krishna) के भांजे भी।

उज्जैन. कौरवों को सेनापति गुरु द्रोणाचार्य ने जब चक्रव्यूह की रचना की तो अभिमन्यु (Abhimanyu) ने ही उसे भंग किया था और इस दौरान युद्ध करते हुए उनकी मृत्यु भी हो गई थी। जब अभिमन्यु चक्रव्यूह में युद्ध कर रहे थे। तब उनसे कुछ ही दूरी पर भीम, युधिष्ठिर, नकुल आदि महावीर भी थे, लेकिन फिर भी वे अभिमन्यु को बचा नहीं पाए। क्या कारण था कि बीच युद्ध में अभिमन्यु का इस तरह वध कर दिया गया और कोई उन्हें बचा नहीं पाया। इसका रहस्य महाभारत में ही लिखा है, जो इस प्रकार है…

इसलिए हुई अभिमन्यु की मृत्यु
- द्वापर युग में दुष्टों का विनाश करने के लिए भगवान विष्णु श्रीकृष्ण के रूप में अवतार लेने वाले थे। तब ब्रह्मा जी ने सभी देवताओं को भी यह आदेश दिया था कि भगवान श्रीकृष्ण की सहायता के लिए वह सभी पृथ्वी पर अंशावतार लें या अपने पुत्रों को जन्म दें। 
- जब चंद्रमा ने सुना कि उनके पुत्र वर्चा को भी पृथ्वी पर जन्म लेना का आदेश मिला है तो उन्होंने ब्रह्मा के उस आदेश को मानने से इंकार कर दिया। साथ ही यह भी कह दिया था कि उनका पुत्र वर्चा अवतार नहीं लेगा।
- तब सभी देवताओं ने चंद्रमा पर यह कहकर दबाव डाला कि धर्म की रक्षा करना सभी देवताओं का कर्तव्य ही नहीं धर्म भी है। इस धर्म कार्य के लिए चंद्रमा अपने पुत्र को कैसे विमुख कर सकते हैं। देवताओं के दबाव डालने पर चंद्रमा विवश हो गए । 
- लेकिन उन्होंने देवताओं के सामने शर्त रख कि उनका पुत्र ज्यादा समय तक पृथ्वी पर नहीं रहेगा। साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के मित्र देवराज इन्द्र के पुत्र अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के रूप में जन्म लेगा। देवता उनकी बात मान गए।
- तब चंद्रमा ने ये भी कहा कि वर्चा श्रीकृष्ण और अर्जुन की अनुपस्थिति में अकेला ही अपना पराक्रम दिखाता हुआ वीरगति को प्राप्त करेगा। जिससे तीनों लोकों में उसके पराक्रम की चर्चा होगी और वर्चा का पुत्र ही कुरुवंश का उत्ताधिकारी बनेगा।
- चंद्रमा के इस बात को देवताओं ने मान लिया और तब चंद्रमा के पुत्र वर्चा ने महारथी अभिमन्यु के रूप में जन्म लिया। द्रोणाचार्य द्वारा रचे गए चक्रव्युह में अपना पराक्रम दिखाते हुए अभिमन्यु वीरगति को प्राप्त हो गए। 

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