तुलसीदासजी ने 966 दिन में लिखी थी श्रीरामचरित मानस, 431 साल बाद यहां आज भी मौजूद है इसकी पांडुलिपी

आज (8 दिसंबर, बुधवार) मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि है। इस दिन विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान श्रीराम और देवी सीता का विवाह हुआ था।इस दिन ये पर्व बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है।

उज्जैन. मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी, (8 दिसंबर, बुधवार) ये तिथि बहुत ही विशेष है क्योंकि इसी तिथि पर गोस्वामी तुलसीदास जी ने हिंदू धर्म के पवित्र धर्म श्रीरामचरित मानस की रचना पूरी की थी। इस बात की जानकारी उन्होंने स्वयं इस ग्रंथ के माध्यम से दी है। और भी कई रोचक बातें इस ग्रंथ में बताई गई हैं। रामचरित मानस की हस्तलिखित पांडुलिपि 431 साल बाद भी काशी के संकट मोचन मंदिर में सुरक्षित रखी हुई है। भारत सरकार द्वारा इसे संरक्षित किया गया है।
 

किसके कहने पर तुलसीदासजी ने लिखी रामचरित मानस 
- एक बार तुलसीदासजी तीर्थाटन करते हुए काशी आ गए। एक रात जब तुलसीदासजी सो रहे थे तब उन्हें सपना आया। सपने में भगवान शंकर ने उन्हें आदेश दिया कि तुम अपनी भाषा में काव्य रचना करो। भगवान शिव की आज्ञा मानकर तुलसीदासजी अयोध्या आ गए।
- संवत् 1631 को रामनवमी के दिन वैसा ही योग था जैसा त्रेतायुग में रामजन्म के समय था। उस दिन सुबह तुलसीदासजी ने श्रीरामचरितमानस की रचना प्रारंभ की। संवत 1633 में मार्गशीर्ष शुक्ल पंचमी पर यानी 2 वर्ष, 7 महीने व 26 दिन में ग्रंथ की समाप्ति हुई। 
- यह ग्रंथ लेकर तुलसीदासजी काशी गए। रात को तुलसीदासजी ने यह पुस्तक भगवान विश्वनाथ के मंदिर में रख दी। सुबह जब मंदिर के पट खुले तो उस पर लिखा था- सत्यं शिवं सुंदरम् और नीचे भगवान शंकर के हस्ताक्षर थे।
- एक बार पंडितों ने तुलसीदासजी की परीक्षा लेने के लिए काशी विश्वनाथ के मंदिर में सबसे ऊपर वेद, उनके नीचे शास्त्र और सबसे नीचे श्रीरामचरितमानस रख दिया। सुबह जब मंदिर खोला गया तो सभी ने देखा कि श्रीरामचरितमानस वेदों के ऊपर रखा हुआ है। 

Latest Videos

यहां रखी है रामचरितमानस की पांडुलिपियां
काशी के तुलसीघाट स्थित संकट मोचन मंदिर में और अस्सीघाट स्थित तुलसीदास अखाड़े में श्रीरामचरितमानस की पांडुलिपी रखी है। पुरातत्व विभाग ने जापान में बने पारदर्शी टिशु पेपर को इस पर लगाया है। साथ ही कागज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने वाले कैमिकल्स का भी इस्तेमाल किया है। विद्वानों ने इसके कागज को तुलसी कालीन माना है और लिपि को तुलसी हस्तलिपि माना है। तुलसीदास का प्रमाणिक हस्तलेख काशी नरेश के संग्रहालय में सुरक्षित है। राजापुर में राम चरित मानस की अयोध्या काण्ड की पांडुलिपि सुरक्षित है। 11x5 के आकार के 170 पन्ने सुरक्षित हैं। अयोध्या काण्ड की इन पांडुलिपियों में हर हस्तलिखित प्रति में ‘श्री गणेशाय नमः और श्री जानकी वल्लभो विजयते’लिखा हुआ है।

ये खबरें भी पढ़ें...

Vivah Panchami 2021: 8 दिसंबर को इस विधि से करें भगवान श्रीराम और सीता की पूजा, ये हैं शुभ मुहूर्त और महत्व

Shri Ramcharit Manas: कैसे लोग होते हैं मूर्ख और किन लोगों के साथ हमें रहना चाहिए, जानिए लाइफ मैनेजमेंट

Vivah Panchami 2021: शादी में आ रही हैं अड़चनें तो 8 दिसंबर को करें ये उपाय, शीघ्र बनेंगे विवाह के योग
 

 

Share this article
click me!

Latest Videos

राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
The Order of Mubarak al Kabeer: कुवैत में बजा भारत का डंका, PM मोदी को मिला सबसे बड़ा सम्मान #Shorts
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
Delhi Election से पहले BJP ने जारी की केजरीवाल सरकार के खिलाफ चार्जशीट
क्या है महिला सम्मान योजना? फॉर्म भरवाने खुद पहुंचे केजरीवाल । Delhi Election 2025