Mahakal Lok: उज्जैन आएं तो मंदिरों के अलावा इन 4 जगह भी जरूर जाएं, ‘जंतर-मंतर’ भी है इनमें शामिल

Mahakal Lok: मंदिरों का शहर उज्जैन। यहां एक नई कई ऐसे मंदिर हैं, जिनके साथ कोई-न-कोई प्राचीन परंपरा जुड़ी है, जो इन्हें और भी खास बनाती है। यही कारण है कि इसे मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी भी कहा जाता है।
 

Manish Meharele | Published : Oct 10, 2022 3:52 AM IST / Updated: Oct 10 2022, 06:06 PM IST

उज्जैन. हमारे धर्म ग्रंथों में सप्तपुरियों के बारे में बताया गया है यानी 7 सबसे पवित्र और धार्मिक शहर। इनमें से एक नाम अवंतिकापुरी भी है, जिसे वर्तमान में उज्जैन के नाम से जाना जाता है। यहां स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirling Ujjain) विश्व प्रसिद्ध है। ये 12 ज्योतिर्लिगों में तीसरा है। रोज हजारों भक्त दूर-दूर से यहां दर्शन आते हैं। हाल ही में महाकाल मंदिर का विस्तारीकरण किया गया है, जिसे महाकाल लोक का नाम दिया गया है। 11 अक्टूबर, मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) महाकाल लोक का लोकार्पण करेंगे। उज्जैन में मंदिरों के अलावा भी कुछ ऐसे स्थान है, जिनका ऐतिहासिक महत्व है। आज हम आपको कुछ ऐसी ही जगहों के बारे में बता रहे हैं। 

जंतर-मंतर (Jantar Mantar Ujjain)
ये स्थान क्षिप्रा नदी के किनारे गऊघाट के निकट स्थित है। भारत में पांच जंतर-मंतर हैं, जो जयपुर, दिल्ली, मथुरा, वाराणसी और उज्जैन में स्थित हैं। जंतर-मंतर में कई ज्योतिषीय उपकरण हैं जिन्होंने दुनिया भर के इतिहासकारों, खगोलविदों और वास्तुकारों का ध्यान आकर्षित किया है। जंतर-मंतर एक खगोलीय वैधशाला है। इसे जयपुर के महाराजा जयसिंह ने सन् 1733 में बनवाया था, उन दिनों वे मालवा के प्रशासक थे।

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कालियादेह महल (Kaliadeh Palace Ujjain)
शहर से करीब 6 किमी दूर एक सुनसान इलाके में नदी के किनारे स्थित है कालियादेह महल। ये सिंधिया राजपरिवार की संपत्ति है। यहां एक प्राचीन सूर्य मंदिर भी है। कहते हैं पहले यहां मुगल राजा आराम करने आते थे, बाद में ये संपत्ति सिंधिया के पास चली गई। यहां 52 छोटे-छोटे कुंड बने हैं। मान्यता है कि यहां नहाने से ऊबरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। चैत्र मास की अमावस्या पर यहां स्नान करने का विशेष महत्व है।

पुरातत्व संग्रहालय (Archaeological Museum Ujjain)
कोठी रोड पर स्थित है पुरातत्व संग्रहालय। यहां आपको कई प्राचीन प्रतिमाएं और अवशेष देखने को मिलेंगे, जो अन्यत्र कहीं नहीं हैं। उज्जैन में खुदाई के दौरान मिली कई ऐतिहासिक धरोहरें यहां संजोकर रखी गई है। यहां हजारों साल पुराना एक शुतुरमुर्ग का अंडा भी है जो अब जीवाश्म भी परिवर्तित हो चुका है। इसे देखने और रिसर्च करने के लिए कई वैज्ञानिक भी यहां आ चुके हैं।

डोंगला वेधशाला (Dongla Observatory Ujjain)
उज्जैन और महिदपुर के बीच में एक स्थान है, जिसे डोंगला कहते हैं। हाल ही में यहां एक वेधशाला बनाई गई है। इसे वराह मिहिर खगोलीय वेधशाला नाम दिया गया है। यहां कई खगोलीय उपकरण भी हैं- ऑप्टिकल टेलीस्कोप, शंकु यंत्र, भास्कर यंत्र एवं भित्ति यंत्र। कहते हैं कि कर्क रेखा इसी स्थान से होकर गुजरती है। इसीलिए यहां वैधशाला का निर्माण किया गया है। इसी रेखा के आधार पर काल-गणना की जाती है इसलिए उज्जैन को कालगणना का प्रमुख केंद्र भी कहा जाता है।


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