Temples of Ujjain: उज्जैन में महाकाल के अलावा ये 10 मंदिर भी है प्रसिद्ध, जानें क्या हैं इनसे जुड़ी मान्यताएं?

Temples of Ujjain: मध्य प्रदेश के उज्जैन को मंदिरों का शहर कहा जाता है। यानी यहां थोड़ी-थोड़ी दूरी पर ही अनेक मंदिर मिल जाते हैं। ये शहर सप्त पुरियों में से एक है। पुरातन समय में इसे प्रतिकल्पा, कनकश्रंगा आदि कई नामों से पुकारा जाता था।
 

Manish Meharele | / Updated: Oct 10 2022, 06:15 AM IST

उज्जैन. 11 अक्टूबर, मंगलवार उज्जैन के लिए एक ऐतिहासिक दिन रहेगा क्योंकि इसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) यहां आकर महाकाल लोक (Mahakal Lok) का लोकार्पण करेंगे। महाकाल लोक योजना के अंतर्गत महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) का विस्तारीकरण किया गया है। इसमें लगभग 800 करोड़ का खर्च आया है। उज्जैन में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के अलावा भी कई प्रसि्दध और ऐतिहासिक मंदिर है। उज्जैन आना हो तो इन मंदिरों के दर्शन भी जरूर करने चाहिए। आगे जानिए इन मंदिरों के बारे में… 

हरसिद्धि शक्तिपीठ (Harsiddhi Shaktipeeth Ujjain)
उज्जैन में महाकाल ज्योतिर्लिंग के बाद दूसरा बड़ा मंदिर है हरसिद्धि शक्तिपीठ। ये मंदिर देवी के 52 शक्तिपीठों में से एक है। मान्यता है कि यहां देवी की कोहनी गिरी थी। ये राजा विक्रामादित्य की कुलदेवी भी हैं। शिलालेख के अनुसार, यहां कभी भैसों की बलि देने की परंपरा थी। ये मंदिर तंत्र-मंत्र से भी संबंधित है।

चिंतामन गणेश (Chintaman Ganesh Ujjain)
ये मंदिर शहर से लगभग 5 किमी दूर है। मान्यता है कि भगवान श्रीगणेश के इस मंदिर की स्थापना स्वयं भगवान श्रीराम ने की थी। इसके सामने स्थित एक बावड़ी है, जिसे लक्ष्मण बावड़ी कहते हैं। कहते हैं कि लक्ष्मण ने बाण चलाकर यहां से पानी निकाला था। किसी भी शुभ काम से पहले चिंतामन गणेश को आमंत्रण पत्र देने की परंपरा है।

कालभैरव मंदिर (Kalabhairav Temple)
ये मंदिर भी काफी प्राचीन और प्रसिद्ध है। यहां भगवान कालभैरव के मुख की प्रतिमा स्थापित है। इस मंदिर के मुख पर शराब का पात्र लगाने से शराब खत्म हो जाती है, कहते हैं शराब ही कालभैरव का प्रमुख भोग है। दूर-दूर से तांत्रिक यहां आते हैं। इन्हें भगवान महाकाल का कोतवाल भी कहा जाता है।

मंगलनाथ मंदिर (Mangalnath Temple)
ये मंदिर अंकपात मार्ग पर स्थित है। मान्यता है कि मंगल ग्रह की उत्पत्ति इसी स्थान से हुई हैं। यहां मंगल के रूप में शिवलिंग की पूजा की जाती है। जिन लोगों को मंगल दोष होता वे यहां आकर पूजा-पाठ करवाते हैं। धर्म ग्रंथों में मंगल को पृथ्वी का ही पुत्र कहा गया है।

सिद्धनाथ मंदिर (Siddhanath Temple)
ये स्थान तर्पण व श्राद्ध के लिए प्रसिद्ध है। कई ग्रंथों में इस स्थान का उल्लेख मिलता है। स्कंद पुराण के अनुसार, इसी स्थान पर शिवपुत्र कार्तिकेय का मुंडन हुआ था। यहां स्थित वटवृक्ष की महिमा वाराणसी के अक्षय वट के समान मानी गई है। कहते हैं मुगलों ने इस वटवृक्ष को कटवा कर इस पर लोहे के तवे जड़ दिए थे, लेकिन ये वृक्ष उन लोहे के तवों को फोड़कर पुन: हरा-भरा हो गया।

गढ़कालिका मंदिर (Gadkalika Temple Ujjain)
ये मंदिर महाकवि कालिदास की कुलदेवी को समर्पित है। जहां ये मंदिर है, कभी वह स्थान शहर से बाहर हुआ करता था। ये स्थान भी तंत्र-मंत्र के लिए जाना जाता है। नवरात्रि में यहां दूर-दूर से तंत्र साधक आते हैं। दशहरे पर यहां आने वाले भक्तों को खास अभिमंत्रित नींबू दिए जाते हैं।

सांदीपनि आश्रम (Sandipani Ashram Ujjain)
धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण शिक्षा ग्रहण करने उज्जैन आए थे। जहां उन्होंने गुरु सांदीपनि से शिक्षा ग्रहण की, आज भी वो स्थान लोगों के लिए श्रद्धा का केंद्र हैं। इस स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ गुरु सांदीपनि की प्रतिमा भी स्थापित है। लोग दूर-दूर से इस स्थान को देखने आते हैं।

बड़ा गणेश मंदिर (Bada Ganesh Mandir)
महाकाल मंदिर के पास ही स्थित है बड़ा गणेश मंदिर। यहां भगवान श्रीगणेश की विशाल प्रतिमा स्थापित है, इसलिए इसे बड़ा गणेश मंदिर कहते हैं। इस मंदिर से भी कई मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हुई हैं।

नागचंद्रेश्वर मंदिर (Nagchandreshwar Temple)
ये मंदिर महाकाल के सबसे ऊपरी शिखर पर स्थापित है। इस मंदिर की विशेषता ये है कि ये साल में सिर्फ एक बार खुलता है नागपंचमी पर। यहां एक प्राचीन प्रतिम स्थापित है। इसमें शेषनाग पर शिव-पार्वती विराजमान है। मान्यता है कि यहां तक्षक नाग निवास करता है।

राम जनार्दन मंदिर (Ram Janardan Temple)
ये मंदिर भी काफी प्राचीन है जो विष्णु सागर के निकट स्थित है। इस मंदिर का निर्माण राजा जयसिंह ने सत्रहवीं शताब्दी में करवाया था। यहां भगवान श्रीराम के साथ लक्ष्मण और देवी सीता की प्राचीन प्रतिमा स्थापित है।
 

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