हिंदू पंचांग के अनुसार वर्ष का तीसरा मास ज्येष्ठ मास है। इस बार ज्येष्ठ मास का प्रारंभ 8 मई, शुक्रवार से हो रहा है। इस महीने में सूर्यदेव अपने रौद्र रूप में होते हैं अर्थात इस महीने में गर्मी अपने चरम पर होती है।
उज्जैन. वैसे तो फागुन माह की बिदाई के साथ ही गर्मी शुरू हो जाती है। चैत्र और वैशाख में अपने रंग बिखेरती है और ज्येष्ठ में चरम पर आ जाती है। गर्मी अधिक होने के कारण अन्य महीनों की अपेक्षा इस महीने में जल का वाष्पीकरण अधिक होता है और कई नदी, तालाब आदि सूख जाते हैं। अत: इस माह में जल का महत्व दूसरे महीनों की तुलना में और बढ़ जाता है। यही कारण है कि इस माह में आने वाले कुछ प्रमुख त्योहार हमें जल बचाने का संदेश भी देते हैं जैसे- ज्येष्ठ शुक्ल दशमी पर आने वाला गंगा दशहरा पर्व और निर्जला एकादशी।
इन त्योहारों के माध्यम से हमारे ऋषि-मुनियों ने हमें संदेश दिया है कि जीवनदायिनी गंगा को पूजें और जल की कीमत जानें। अगले ही दिन निर्जला एकादशी का विधान रखा। इस संदेश के साथ कि जल बचाना है तो वर्ष में कम से कम एक दिन ऐसा उपवास करें, ऐसा व्रत रखें कि बगैर जल ग्रहण किए ईश्वर की आराधना की जा सके। इस प्रकार ज्येष्ठ मास से हमें जल का महत्व व उपयोगिता की सीखनी चाहिए।
ये सीखें इस महीने से-
1. कम से कम पानी में गुजारा करें।
2. अनावश्यक पानी बर्बाद न करें।
3. अगर कोई पानी का दुरुपयोग करता दिखे तो उसे भी रोकें।