पांडवों ने बनवाया केदारनाथ मंदिर, आदि शंकराचार्य ने दिया नया रूप, जानिए इस ज्योतिर्लिंग से जुड़ी कथा और परंपरा

हमारे देश में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं लेकिन इन सभी में 12 ज्योतिर्लिंगों का विशेष महत्व है। इनमें से 5वें क्रम पर आता है केदारनाथ (Kedarnath Jyotirling)। ये मंदिर साल में सिर्फ 6 महीने दर्शनों के लिए खोला जाता है, शेष 6 महीने ये मंदिर आम दर्शनार्थियों के लिए बंद रहता है क्योंकि यहां कि भौगोलिक परिस्थितियां ही ऐसी हैं।

उज्जैन. शीत ऋतु के दौरान केदारनाथ मंदिर बर्फ से ढंका रहता है और यहां तक पहुंचने के रास्ते भी बंद हो जाते हैं। हर साल वैशाख शुक्ल पंचमी तिथि को मंदिर आम दर्शनार्थियों के लिए खोला जाता है। ये तिथि आज (6 मई, शुक्रवार) ही है। आज सुबह शुभ मुहूर्त में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मंदिर के कपाट खोले गए, जिसके बाद पुजारी ने बाबा की डोली लेकर मंदिर में प्रवेश किया। इस मौके पर मंदिर प्रांगण को 10 क्विंटल फूलों से सजाया गया। आगे जानिए केदारनाथ मंदिर से जुड़ी खास बातें…

ऐसे हुई थी मंदिर की स्थापना (History of Kedarnath Jyotirlinga)
पौराणिक कथाओं के अनुसार, युद्ध के बाद पांडवों पर अपने ही गोत्र जनों की हत्या का पाप लगा। इससे मुक्ति पाने के लिए वे केदार क्षेत्र में भगवान शिव के दर्शन करने आए, लेकिन शिवजी उन्हें दर्शन नहीं देना चाहते थे, इसलिए उन्होंने बैल का रूप धारण कर लिया। भीम ने महादेव को पहचान लिया और वे उन्हें पकड़ने के लिए भागे, लेकिन वो सिर्फ बैल (शिवजी) के पृष्ठ भाग यानी पीठ का हिस्सा ही पकड़ सके। ये देखकर पांडव बहुत दुखी हुए और उसी स्थान पर तपस्या करने लगे। जब भगवान शिव उन पर प्रसन्न हो गए तो आकाशवाणी के माध्यम से उनसे कहा कि मेरे जिस पृष्ठ भाग को भीम ने पकड़ा था, उसी को शिला रूप में स्थापित कर पूजा करो। पांडवों ने ऐसा ही किया। इसे ही केदारनाथ के रूप में कालांतर में पूजा जाने लगा।
 
केदारनाथ ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें (Special things related to Kedarnath Jyotirlinga)
1.
 ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था। बाद में आदि गुरु शंकराचार्य जब इस स्थान पर आए तो उन्होंने इस मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया। मंदिर के पास ही शंकराचार्य का समाधि स्थल भी है।
2. इस मंदिर के मुख्य पुजारी, जिसे रावल कहा जाता है, वे कर्नाटक के वीरा शैव जंगम समुदाय के होते हैं। यहां सभी धार्मिक अनुष्ठान कन्नड़ भाषा में करवाए जाते हैं। 
3. मंदिर में पांचों पांडवों की मूर्तियां हैं और मंदिर के बाहर शिव-पार्वती व अन्य देवी-देवताओं के चित्र हैं। मंदिर में भगवान को कड़ा चढ़ाने की परंपरा है। 
4. शीत ऋतु के दौरान जब केदारनाथ के कपाट बंद किए जाते हैं तो भगवान को पालकी से उखीमठ लिया जाता है। 6 महीने तक भोलेनाथ के दर्शन उखीमठ में ही किए जाते हैं।

कैसे पहुंचे? (How to reach Kedarnath Jyotirlinga?)
- केदारनाथ चंडीगढ़ से (387), दिल्ली से (458), नागपुर से (1421), बेंगलुरू से (2484), ऋषिकेश से (189) किमी पड़ता है। 
- आप हरिद्वार, कोटद्वार, देहरादून तक ट्रेन के जरिए भी जा सकते हैं। देहरादून तक बाय एयर से भी जाया जा सकता है।
- नईदिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, अमृतसर से सबसे अच्छी कनेक्टिविटी हरिद्वार रेलवे स्टेशन की है।

ये भी पढ़ें-

Chandra grahan 2022: कब होगा साल का पहला चंद्रग्रहण? जानिए तारीख, समय और सूतक से जुड़ी हर खास बात


जिन लोगों का नाम अंग्रेजी के इन 4 अक्षरों से शुरू होता है, उनके पास नहीं होती पैसों की कमी

गुड लक बढ़ाने के लिए अपनी जेब में रखें खास रंग का पर्स, ऐसे चुनें अपना लकी कलर, कोई भी कर सकता है ये उपाय


 

Latest Videos

Share this article
click me!

Latest Videos

Manmohan Singh: कांग्रेस मुख्यालय ले जाया गया मनमोहन सिंह का पार्थिव शरीर
Manmohan Singh: मनमोहन सिंह के अंतिम दर्शन, कांग्रेस मुख्यालय पहुंचे राहुल गांधी
Manmohan Singh: 'जब बाबा गुजरे, तब...' मनमोहन सिंह के निधन के बाद छलका प्रणब मुखर्जी की बेटी का दर्द
संभल में खुदाई में दिखा एक और प्राचीन गलियारा, मुख्य गेट और सीढ़ियां #Shorts
पौष प्रदोष व्रत पर बन रहा शनि त्रयोदशी का संयोग, भूलकर भी न करें ये गलतियां