लंका से आकर कश्मीर में स्थापित हुई खीर भवानी माता, संकट आने पर लाल हो जाता है मंदिर के कुंड का पानी

Published : Jun 07, 2022, 09:50 AM IST
लंका से आकर कश्मीर में स्थापित हुई खीर भवानी माता, संकट आने पर लाल हो जाता है मंदिर के कुंड का पानी

सार

कश्मीर में कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जो हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। ऐसा ही एक मंदिर है माता खीर भवानी (Kheer Bhavani Temple) का। ये मंदिर कश्मीर (Kashmir) के गांदरबल (Ganderbal) जिले के तुलमुला (Tulmula District) इलाके में स्थित है।

उज्जैन. खीर भवानी मंदिर में देवी को खीर का भोग विशेष रूप से लगाया जाता है, इसलिए इस मंदिर का नाम खीर भवानी (Kheer Bhavani Mela) पड़ा है। हर इस ज्येष्ठ मास की अष्टमी तिथि का यहां मेले का आयोजन होता है। इस बार ये तिथि 8 जून, बुधवार को है। मेले को लेकर शासन-प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है। इस मेले का कश्मीरी पंडितों को बेसब्री से इंतजार रहता है। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में बसे कश्मीरी पंडित भी इस मेले में शामिल होने के लिए यहां पहुंचते हैं। सिर्फ हिंदू ही नहीं बल्कि मुस्लिम लोग भी इस मंदिर में सिर झुकाने आते हैं। इस मंदिर से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं, जो इसे खास बनाती है। आगे जानिए इस मंदिर से जुड़ी खास बातें…

राम और रावण से जुड़ी है खीर भवानी मंदिर की कथा
दंत कथाओं के अनुसार, रावण की तपस्या से प्रसन्न होकर माता राज्ञा (खीर भवानी या राग्याना देवी) ने उसे दर्शन दिए थे। रावण ने लंका में कुलदेवी के रूप में माता की स्थापना की, लेकिन रावण के अधार्मिक कार्यों के चलते माता उससे रुठ गई। जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर दिया तो देवी ने वो स्थान छोड़ दिया और कश्मीर के तुलमुला में आकर बस गई। माना जाता है कि वनवास के दौरान राम राग्याना माता की आराधना करते थे तो मां राज्ञा माता को रागिनी कुंड में स्थापित किया गया। वर्तमान में जो मंदिर दिखाई देता है, उसका निर्माण 1912 में महाराजा प्रताप सिंह ने कराया था। बाद में महाराजा हरी सिंह ने जीर्णोद्धार कराया। 

संकट आने पर बदल जाता है कुंड के पानी का रंग
मंदिर में पुराना कुंड है जहां बीच में मां खीर भवानी की प्रतिमा स्थापित है। यह कुंड लोगों के आकर्षण का केंद्र है क्योंकि जब भी यहां कोई मुसीबत आने वाली होती है तो इसका रंग बदल जाता है। हैरानी की बात है कि इस कुंड में एक भी मछली-मेंढक या अन्य कोई जीव नहीं रहता है। स्थानीय लोग बताते हैं कि है जब कारगिल युद्ध हुआ तो उससे कुछ दिन पहले ही कुंड का पानी लाल हो गया था। यहां आने वाले श्रद्धालु इस कुंड में दूध-शक्कर डालते है। 

कैसे पहुंचें?
खीर भवानी मंदिर जाने के लिए सबसे पहले आपको श्रीनगर पहुंचना होगा। यहां से मंदिर लगभग 25 किमी है। अगर आप रेल से सफर रहे हैं तो श्रीनगर रेलवे स्टेशन पर उतरकर निजी साधन से खीर भवानी मंदिर पहुंच सकते हैं। यहां के नजदीकी एयरपोर्ट भी श्रीनगर में ही है।


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