156 एकड़ में फैला है तमिलनाडु का ये सैकड़ों साल पुराना मंदिर, इसे कहते हैं धरती का वैकुंठ

दक्षिण भारत में कई प्राचीन विशाल मंदिर हैं जो आज भी हिंदू धर्म की विरासत को दर्शाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर है श्रीरंगनाथ मंदिर। ये मंदिर तमिलनाडु के श्रीरंगम शहर में स्थित है, इसलिए इसे श्रीरंगम मंदिर भी कहते हैं।
 

उज्जैन. तमिलनाडु (Tamil Nadu) में कई प्राचीन मंदिरों में से श्रीरंगनाथ मंदिर (Sri Ranganath Temple) भी एक है। ये मंदिर कावेरी नदी के निकट एक द्वीप पर स्थित है। इस मंदिर की विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि ये 156 एकड़ में फैला हुआ है। ये मंदिर पूरी तरह से पत्थर से बना हुआ है। इसकी विशालता को देखते हुए ही इसे धरती का वैकुंठ कहा जाता है। मंदिर के विमानम (गर्भगृह के ऊपर की संरचना) का ऊपरी भाग सोने से जड़ा हुआ है। दक्षिण भारत का यह सबसे शानदार वैष्णव मंदिर है। 

ये हैं मंदिर का इतिहास
उबलब्ध जानकारी के अनुसार, इस मंदिर की वर्तमान संरचना 16वीं शताब्दी के आस-पास की दिखाई देती है। मंदिर की शैली चोल, पांड्या, होयसाल और विजयनगर साम्राज्य के राजवंशों से संबंधित है। इतिहासकारों की मानें तो जिन शासकों ने दक्षिण भारत में राज किया, उन्होंने समय-समय पर इस मंदिर का नवीनीकरण भी करवाया। इसलिए इस मंदिर की सुदंरता आज भी देखते ही बनती है। दक्षिण भारत में इस मंदिर का गोपुरम सबसे ऊंचा है, जो 237 फीट का है।
 
तोते का पीछा करते हुए मिली भगवान की प्रतिमा

किवदंति है कि भगवान रंगनाथ यानी विष्णु की जो प्रतिमा रंथनाथ मंदिर में स्थापित है वो चोल राजा को तब मिली जह वह तोते का पीछा करता हुए जंगल में गया। इसके बाद राजा ने रंगनाथस्वामी मंदिर परिसर को विकसित कर दुनिया के सबसे विशाल मंदिरों में से एक बनाया। कुछ इतिहासकारों ने राजा का नाम राजमहेंद्र चोल बताया, जो राजेन्द्र चोल द्वितीय के पुत्र थे। 

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जब आक्रमणकारियों ने लूटी मूर्ति
इस मंदिर से जुड़ी एक कथा ये भी प्रचलित है कि सन 1310 के आस-पास मुस्लिम आक्रमणकारियों ने चोल साम्राज्य पर आक्रमण कर मंदिर से मूर्ति लूट ली और अपने साथ दिल्ली ले गए। जैसे-जैसे ये बात फैलती गई में भगवान श्रीरंगनाथ के भक्त इकट्ठा होते गए और दिल्ली जाकर वे ये मूर्ति पुन: लेकर आए। जिसे वर्तमान मंदिर में स्थापित किया गया।

कैसे पहुंचें?
- चेन्नई, कन्याकुमारी, हैदराबाद, बेंगलुरु, कोयंबटूर, मैसूर, मंगलोर आदि शहरों से श्रीरंगम सड़क मार्ग से सीधा जुड़ा है। यहां से लोकपरिवहन के साधन भी आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। दिल्ली से त्रिची जाने वाली बस भी यहां से होकर गुजरती है।
- श्रीरंगम में एक रेलवे स्टेशन है। इस रेलवे स्टेशन से चेन्नई से आने वाली चेन्नई - कन्याकुमारी वाली मार्ग की सभी ट्रेनें चलती है। यहां से दिल्ली, हैदराबाद, मदुर आदि के लिए भी रेल सुविधा उपलब्ध है।
- श्रीरंगम का सबसे नजदीकी एयरपोर्ट, तिरूचिरापल्ली इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जो त्रिची में स्थित है। यह बंगलौर, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और दिल्ली आदि शहरों से प्रमुखता से जुड़ा हुआ है। 


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