Life Management: शिष्य ने गुरु से कहा कि आपके कमरे में सांप है, ये सुनकर गुरु डरे नहीं बल्कि उन्होंने ये किया?

कई बार अज्ञानता का कारण हम अकारण ही डर जाते हैं और दूसरों को भी डरा देते हैं। किसी भी बात की निष्कर्ष निकालने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करें और इसके बाद ही किसी को बताएं। हम सभी को ऐसा करने से बचना चाहिए और सोच-समझकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए।

Asianet News Hindi | Published : Feb 11, 2022 6:43 AM IST

उज्जैन. सिर्फ अपने अनुमान से ही किसी को सही या गलत समझ लेना सबसे बड़ी मूर्खता होती है। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है बिना जांच-परख के किसी भी बात का अनुमान नहीं लगाना चाहिए।

जब शिष्य ने रस्सी को समझ लिया सांप
किसी नगर में एक संत अपने आश्रम में रहते थे। संत के एक शिष्य भी रहता था। एक दिन उसने संत से पूछा कि “गुरुजी हमारे जीवन में शिक्षा क्यों जरूरी है?” 
संत ने कहा कि “एक दिन तुम्हें खुद ही इस प्रश्न का उत्तर मिल जाएगा।” इस बात को काफी दिन बीत गए। एक रात संत ने शिष्य को एक पुस्तक दी और कहा कि तुम इसे कमरे में रख दो। शिष्य उस पुस्तक को लेकर गुरु के कमरे में गया। कमरे में रोशनी नहीं थी।
शिष्य कमरे में गया तो उसके पैरों में कुछ महसूस हुआ। उसे लगा कि कमरे में सांप है। वह तुरंत दौड़कर बाहर आ गया। 
शिष्य ने संत को बताया कि “आपके कमरे में सांप है।” 
गुरु ने कहा कि “तुम्हें कोई भ्रम हुआ होगा। कमरे में सांप कैसे आ सकता है?” लेकिन, शिष्य ने फिर अपनी बात दोहराई।
गुरु ने शिष्य से कहा कि “दीपक जलाकर कमरे में ले जाओ। अगर सांप होगा तो रोशनी देखकर वहां से चला जाएगा।” 
गुरु की बात मानकर शिष्य कमरे में पहुंचा। वहां दीपक रोशनी में उसने एक रस्सी देखी जो जमीन पर रखी हुई। शिष्य गलती से रस्सी को ही सांप समझ बैठा था।
बाहर आकर शिष्य ने गुरु को पूरी बात बताई। गुरु ने कहा कि “पुत्र ये संसार भी एक अंधेरे कमरे की तरह ही है। यहां अगर हमारे साथ ज्ञान का प्रकाश नहीं होगा तो हम रस्सी को सांप समझने लगते हैं। अगर हम शिक्षा ग्रहण नहीं करेंगे तो इस संसार में अच्छे-बुरे का, सही-गलत का अंतर समझ नहीं सकेंगे। शिक्षा के बिना पूरे जीवन में भ्रम बना रहेगा।”
शिष्य को अपने प्रश्न का उत्तर मिल चुका है।

लाइफ मैनेजमेंट
कई लोग बिना सोचे-समझे किसी बात को लेकर बहुत उत्तेजित हो जाते हैं जबकि उन्हें सच्चाई का ज्ञान भी नहीं होता। ऐसे में वे अपने अनुमान से ही सही-गलत का फैसला ले लेते हैं जो कि गलत है। किसी भी बात का निष्कर्ष निकालने से पहले अच्छी तरह सोच-विचार करना चाहिए।

 

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