Life Management: राजा ने मजदूर को चंदन का बाग दिया, बाद में राजा ने वहां का नजारा देखा तो वे चौंक गए

कुछ लोग जीवन भर अपनी किस्मत को ही दोष देते रहते हैं। जबकि ऐसा नहीं होता कि उन्हें मौके न मिले हों या उनके पास आगे बढ़ने के संसाधन न हो। लेकिन अज्ञानता या कई बार आलस्य के कारण वे एक जगह पर रहते हुए भी अपना पूरा जीवन बिता देते हैं और हर किसी के सामने अपनी मजबूरी का रोना रोते रहते हैं।

उज्जैन. जो लोग हमेशा अपनी मजबूरियों का रोना रोते रहते हैं। ऐसे लोग कभी आगे नहीं बढ़ पाते और उनकी वजह से आने वाली पीढ़ी को भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है अज्ञानता के चलते हम कई बार हाथ आए मौके गंवा देते हैं।

जब अज्ञानता में चंदन का बाग बन गया कोयले का ढेर
एक राजा जो बहुत परोपकारी थे, उनके पास बहुत ही सुन्दर और विशाल चन्दन का बाग था। उन चंदन के पेड़ों से तेल और इत्र तैयार किये जाते थे। एक रोज, राजा उनके सैनिकों के साथ घोड़ों पर सवार होकर प्रजा का हाल जानने निकले। लौटते समय बहुत अँधेरे होने के कारण वो मार्ग से भटक गए और एक घने जंगल में जा पहुँचे। 
उन्होंने जंगल में एक भील की कुटिया दिखाई दी। राजा के लिए भील ने भोजन का प्रबंध किया और उनकी सेवा की। रात गुजारने के बाद जब राजा जाने लगे तो उन्होंने भील से उसकी आजीविका का साधन पूछा। तो भील ने बताया कि “महाराज, मैं रोज वन से लकड़ी काटता हूँ और उसका कोयला तैयार करता हूँ, उसी को बेचकर अपना जीवन निर्वाह करता हूं।
राजा भील की सेवा से बहुत प्रसन्न थे, उन्होंने अपना चंदन का बाग उसे दे दिया और कहा कि “इन चंदन के पेड़ों से अब तुम अपनी आजीविका चलाओ। इससे तुम्हें और भी फायदा होगा। भील चंदन के बाग में कुटिया बनाकर रहने लगा।
इस तरह काफी समय बीत गया। एक दिन राजा का मन चंदन के बाग में जाने का कहा। राजा ने जब वहां का नजारा देखा तो वे दंग रह गए। चंदन का आलीशान बाग अब कोयले की खदान बन चुका था। उन्होंने भील से इसका कारण पूछा तो उसने बताया कि “महाराज मैं रोज इन वृक्षों को काटकर कोयला बनाता हूं और बाजार में जाकर बेचता हूं।
भील की बात सुनकर राजा को बहुत क्रोध आया। उन्होंने भील से कहा कि “आज तुम कोयला नहीं बल्कि इन वृक्ष की लकड़ी बाजार में बेचकर आओ।” भील ने ऐसा ही किया।
जब भील वापस आया तो राजा ने उससे पूछा“ तुमने वो लकड़ी कितने में बेची।”
भील ने बताया “ये लकड़ी को कोयले से भी अधिक मूल्यवान है। आज मुझे रोज के मुकाबले अधिक पैसे मिले हैं।”
अब भील को अपने किए पर पछतावा होने लगा। उसने राजा से कहा“ आपने मुझे बहुमूल्य लकड़ी का बाग दिया और मैंने अपनी मूर्खता से उसे कोयला बना दिया। अब मैं क्या करुं।”
राजा ने उससे कहा “जो हो गया उसे भूल जाओ। अब जो वृक्ष बचे हैं, तुम उससे नए बाग का निर्माण करों। ताकि तुम्हारा आने वाला भविष्य उज्जवल हो सके।”

लाइफ मैनेजमेंट
कई बार अज्ञानता की वजह से हम संसाधनों का ठीक से उपयोग नहीं कर पाते और जब हम उस वस्तु की अहमियत पता चलती है, समय निकल चुका होता है। इसलिए हमारे पास जो भी है। उसके कब, कहां और कैसे उपयोग करना है, इसके बार में पूर्ण जानकारी होनी चाहिए।
 

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