पत्नी कितनी भी गुणवान हो, लेकिन ऐसी स्थिति में साथ छोड़ दे तो उसका न होना ही बेहतर

हिंदू धर्म में पति-पत्नी को एक-दूसरे का पूरक कहा जाता है। यानी एक-दूसरे के बिना पति-पत्नी अधूरे होते हैं। इसलिए पत्नी को पति की अर्धांगिनी कहा जाता है यानी शरीर का आधा अंग। जीवन भर इन्हें एक-दूसरे का साथ निभाना पड़ता है।
 

उज्जैन. हिंदू धर्म ग्रंथों में लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्र बताए गए हैं। ये सूत्र भले ही हजारों साल पहले लिखे गए हैं लेकिन वे आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने तब थे। गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस में भी लाइफ मैनेजमेंट के ऐसे अनेक सूत्रों के बारे में बताया गया है। तुलसीदासजी ने अपने एक दोहे में बताया कि विपत्ति के समय किन लोगों परीक्षा होती है। आगे जानिए इस दोहे और इसके लाइफ मैनेजमेंट के बारे में…

दोहा
धीरज धर्म मित्र अरु नारी।
आपद काल परिखिअहिं चारी।।

अर्थात- धीरज (धैर्य), धर्म, मित्र और पत्नी की परीक्षा कठिन समय में ही होती है।

कैसे होती है पत्नी की परीक्षा?
इस दोहे में पत्नी का वर्णन सबसे अंत में है, लेकिन हम इसके बारे में सबसे पहले बता रहे हैं क्योंकि विपरीत समय में पत्नी साथ हो तो आधी समस्या का अंत तो अपने आप ही हो जाता है। और यदि विपरीत समय में पत्नी साथ छोड़ दे तो ऐसी पत्नी का न होना ही बेहतर है। इसलिए हमारे धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि पति निर्धन हो या बीमार, पत्नी को कभी उसका साथ नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि ऐसे ही समय में पत्नी की सही पहचान होती है।

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कैसे होती है मित्र की पहचान? 
पत्नी के बाद अगर कोई संकट के समय साथ देता है तो वह होता है मित्र। दुनिया में एक मात्र यही वो रिश्ता है, जिसका चुनाव हम स्वयं करते हैं। वैसे तो हर व्यक्ति के हजारों मित्र होते हैं लेकिन सच्चा मित्र वही होता है जो संकट के समय आपकी मदद करता है। संकट में जो मित्र काम न आए, वो सच्चा मित्र नहीं होता।

कैसे होती है धैर्य की परीक्षा?
जब भी कोई संकट आता है तो व्यक्ति का मन विचलित होने लगता है। ऐसी स्थिति में वह कई बार गलत फैसले भी ले लेता है। यही वह समय होता है जब हमें धैर्य से काम लेते हुए सही निर्णय लेना चाहिए। दुनिया में ऐसी कोई परेशानी नहीं जिसका समाधान धैर्य पूर्वक नहीं किया जा सकता।

कैसे होती है धर्म की परीक्षा?
धर्म का अर्थ है हमारे द्वारा किए गए अच्छे काम। जब भी आप पर कोई विपत्ति आती है तो आपके द्वारा किए अच्छे कामों का प्रतिफल उस परेशानी को कम करता है। इसलिए कहते हैं धर्म यानी अच्छे काम करते रहना चाहिए। और अगर आपने कभी अच्छे काम नहीं किए तो विपरीत समय में आपको और ज्यादा परेशान होना पड़ सकता है।


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