हमारे पास कितनी ही ऐसी चीजें होती हैं, जिसे हम विशेष अवसरों पर ही निकालते हैं जैसे डिनर सेट आदि। ये खास लोगों के लिए खास मौकों पर निकाली जाती है। अगर ऐसी चीजें हम सही समय पर भी नहीं निकालेंगे तो उनका कोई अर्थ नहीं रह जाएगा।
उज्जैन. कुछ चीजें जो हम खास दिन के लिए संभाल कर रखते हैं, कई बार ये चीजें ऐसे ही पड़े-पड़े खराब भी हो जाती हैं और उनका महत्व भी खत्म हो जाता है। Asianetnews Hindi Life Management सीरीज चला रहा है। इस सीरीज के अंतर्गत आज हम आपको ऐसा प्रसंग बता रहे हैं जिसका सार यही है कि किसी भी वस्तु का महत्व तब तक ही रहता है, जब उसका सही उपयोग किया जाए।
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जब बूढ़े के कीमती बर्तन का हुआ ऐसा उपयोग
बहुत समय पहले की बात है। एक गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति रहता था। उसके दो बेटे थे। बूढ़ा वस्तुओं के उपयोग के मामले में कंजूस था और उन्हें बचा-बचा कर उपयोग किया करता था। उसके पास एक पुराना चांदी का बर्तन था। वह उसकी सबसे मूल्यवान वस्तु थी। उसने उसे संभालकर संदूक में बंद कर रखता था। उसने सोच रखा था कि सही अवसर आने पर ही उसका उपयोग करेगा।
एक दिन उसके यहाँ एक संत आये। जब उन्हें भोजन परोसा जाने लगा, तो एक क्षण को बूढ़े व्यक्ति के मन में विचार आया कि क्यों न संत को चांदी के बर्तन में भोजन परोसूं? किंतु अगले ही क्षण उसने सोचा कि मेरा चांदी का पात्र बहुत कीमती है। गाँव-गाँव भटकने वाले इस संत के लिए उसे क्या निकालना? जब कोई राजसी व्यक्ति मेरे घर पधारेगा, तब यह पात्र निकालूंगा। यह सोचकर उसने पात्र नहीं निकाला।
कुछ दिनों बाद उसके घर राजा का मंत्री भोजन करने आया। उस समय भी बूढ़े व्यक्ति ने सोचा कि चांदी का पात्र निकाल लूं। किंतु फिर उसे लगा कि ये तो राजा का मंत्री है। जब राजा स्वयं मेरे घर भोजन करने पधारेंगे, तब अपना कीमती बर्तन निकालूंगा।
कुछ दिनों के बाद स्वयं राजा उसके घर भोजन के लिए आए। राजा उसी समय पड़ोसी राज्य से युद्ध हार गए थे और उनके राज्य के कुछ हिस्से पर पड़ोसी राजा ने कब्जा कर लिया था। भोजन परोसते समय बूढ़े व्यक्ति ने सोचा कि अभी-अभी हुई पराजय से राजा का गौरव कम हो गया है। मेरे पात्र में किसी गौरवशाली व्यक्ति को ही भोजन करना चाहिए। इसलिए उसने चांदी का बर्तन नहीं निकाला।
इस तरह उसका बर्तन बिना उपयोग के पड़ा रहा। एक दिन बूढ़े व्यक्ति की मृत्यु हो गई। उसकी मृत्यु के बाद उसके बेटे ने उसका संदूक खोला। उसमें उसे काला पड़ चुका चांदी का बर्तन मिला। उसने वह बर्तन अपनी पत्नी को दिखाया और पूछा, “इसका क्या करें?”
पत्नी ने काले पड़ चुके पात्र को देखा और मुँह बनाते हुए बोली, “अरे इसका क्या करना है। कितना गंदा बर्तन है। इसे कुत्ते को भोजन देने के लिए निकाल लो।”
उस दिन के बाद से घर का पालतू कुत्ता उस चांदी के बर्तन में भोजन करने लगा। जिस बर्तन को बूढ़े व्यक्ति ने जीवन भर किसी विशेष व्यक्ति के लिए संभालकर रखा, अंततः उसकी ये गत हुई।
लाइफ मैनेजमेंट
किसी वस्तु का मूल्य तभी है, जब वह उपयोग में लाई जा सके। बिना उपयोग के बेकार पड़ी कीमती वस्तुओं का भी कोई मूल्य नहीं। इसलिए यदि आपके पास कोई वस्तु है, तो सही समय पर उसका उपयोग कर लें।
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