Sawan 2022 First Monday: वैसे तो हमारे देश में भगवान शिव के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में 12 ज्योर्तिलिंगों का विशेष महत्व है। ये ज्योतिर्लिंग देश के अलग-अलग हिस्सों में स्थापित हैं। इन सभी ज्योतिर्लिंगों का वर्णन शिव महापुराण में भी मिलता है।
उज्जैन. 12 ज्योतिर्लिंगों में तीसरे नंबर पर आता है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग। ये मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। इस शहर को मध्य प्रदेश की धार्मिक राजधानी भी कहा जाता है। उज्जैन का प्राचीन नाम उज्जयिनी है। महाकाल मंदिर में रोज सुबह होने वाले भस्मारती विश्व प्रसिद्ध है। अनेक ग्रंथों में महाकाल ज्योतिर्लिंग और उज्जैन का महत्व बताया गया है। सावन माह में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में विशेष व्यवस्था की गई है। जो भक्त मंदिर नहीं पहुंच पा रहे वे घर बैठे यूट्यूब पर बाबा महाकाल के लाइव दर्शन (Mahakal Live Darshan) कर सकते हैं। आगे जानिए महाकाल मंदिर से जुड़ी खास बातें…
यहां होती है विश्वप्रसिद्ध भस्म आरती
12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मात्र महाकाल मंदिर में ही भस्म आरती की परंपरा है। इस परंपरा के अंतर्गत रोज सुबह भस्मी (गाय के उपले से बनी भस्म) से बाबा महाकाल की आरती की जाती है। कहा जाता है कि प्राचीन समय में मुर्दे की राख से भस्म आरती की जाती थी। बाद में इस परंपरा को बदला गया। भस्म आरती को देखने के लिए हजारों लोग रोज सुबह मंदिर में आते हैं। इस ज्योतिर्लिंग की एक विशेषता ये भी है कि ये 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक मात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। इसलिए इस ज्योतिर्लिंग का तांत्रिक महत्व भी है।
तीन तलों में विभाजित है मंदिर
महाकाल मंदिर तीन तलो में विभाजित है। सबसे ऊपरी तल पर नागचंद्रेश्वर मंदिर है जो साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर ही खुलता है। कहा जाता है कि ये तक्षक नाग का स्थान है जिसका वर्णन कई ग्रंथों में मिलता है। तक्षक के काटने से ही अभिमन्यु के पुत्र परीक्षित की मृत्यु हुई थी। दूसरे तल पर ओमकारेश्वर महादेव का मंदिर है और सबसे नीचे यानी गर्भ ग्रह में स्थापित है महाकाल ज्योतिर्लिंग।
कैसे पहुंचे?
- यहां से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में है, जो करीब 58 किलोमीटर है।
- उज्जैन लगभग देश के सभी बड़े शहरों से रेलमार्ग से जुड़ा है।
- उज्जैन में सड़कों का अच्छा जाल बिछा है और यह देश के सभी प्रमुख शहरों से जुड़ा है।