साल में एक बार होता है महाकाल का अनोखा श्रृंगार , अंग्रेजी फूल वाला इतना वजनदार सेहरा पहनते हैं बाबा

वैसे तो भगवान शिव के अनेक प्राचीन मंदिर हमारे देश में है, लेकिन इन सभी में 12 ज्योतिर्लिंगों (12 jyotirling) का विशेष महत्व है। इन सभी से अलग-अलग मान्यताएं और परंपराएं जुड़ी हैं। ऐसा ही एक ज्योतिर्लिंग है महाकालेश्वर (Mahakal temple)। ये मध्य प्रदेश के उज्जैन (Ujjain) में स्थित है।

Asianet News Hindi | Published : Mar 1, 2022 9:19 AM IST / Updated: Mar 01 2022, 02:52 PM IST

उज्जैन. उज्जैन का प्राचीन नाम अवंतिका है। इस नगर का नाम कई पुराणों में मिलता है। शिवपुराण (Shivpuran) में भी महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakal jyotirling) का वर्णन है। महाशिवरात्रि के मौके पर यहां शिव नवरात्रि (Shiv Navratri) का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व में भगवान शिव को दूल्हे के रूप में सजाया जाता है। महाशिवरात्रि (Mahashivratri) के दूसरे दिन भगवान शिव को सेहरा चढ़ाया जाता है। भगवान महाकाल का दूल्हे के रूप में श्रृंगार साल में सिर्फ एक बार होता है, इसलिए ये मौका बहुत खास होता है। भगवान शिव के इस स्वरूप को देखने के लिए दूर-दूर से भक्त यहां आते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर जानिए कैसे बनता है भगवान शिव का ये सेहरा और अन्य खास बातें…

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ढाई से तीन क्विंटल का होता है सेहरा  
उज्जैन के मालीपुरा में रहने वाले अजय परमार पिछले 7-8 सालों से भगवान महाकाल का सेहरा बना रहे हैं। वे अपने आपको सौभाग्यशाली मानते हैं कि भगवान महाकाल की कृपा से उन्हें ये काम करने का मौका मिला। सेहरा बनाने में उनका परिवार जिसमें करीब 7-8 लोग पूरे दिन जुटे रहते हैं। तब कहीं जाकर रात तक अलग-अलग हिस्सों में भगवान का सेहरा तैयार होता है। इन अलग-अलग हिस्सों को मंदिर में ले जाकर ही सेहरा का रूप दिया जाता है। सेहरे का वजन लगभग ढाई से तीन क्विंटल होता है। 

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अंग्रेजी गुलाब का होता है इस्तेमाल
परमार के अनुसार, महाकाल के सेहरा बनाने में गुलाब, गेंदा, मोगरा, कुंद, चमेली व आंकड़े के फूलों व अंगूर, बेर आदि फलों का उपयोग भी किया जाता है। सेहरे को आकर्षक स्वरूप देने के लिए विशेष तौर पर अंग्रेजी गुलाब के फूल मंगवाए जाते हैं। इनका उपयोग सजावट में होता है। इस एक फूल की कीमत लगभग 15-20 रुपए होती है। ये फूल इंदौर के फूल व्यापारी पूना और मुंबई से मंगवाते हैं। इंदौर से ये फूल उज्जैन विशेष तौर पर महाकाल के सेहरे के लिए यहां आता है। भगवान के कानों के लिए विशेष कुंडल भी फूलों  से तैयार किए जाते हैं।

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सवा लाख का सेहरा महाकाल को अर्पित
इस सेहरे का बाजार भाव लगभग सवा लाख रुपए होता है, लेकिन हमारे परिवार द्वारा ये मंदिर समिति को नि:शुल्क दिया जाता है। इसके अलावा शिव नवरात्रि के दौरान गर्भ गृह में फूलों की सजावट व अन्य मंदिरों का श्रृंगार भी उनके द्वारा बिना किसी शुल्क के किया जाता है। सेहरा बनाने वाले अजय परमार इसे आस्था का मामला बताता हुए कहते हैं कि भगवान की सेवा का कोई मोल नहीं होता, ये तो भगवान को हमारी ओर से छोटी सी भेंट है।

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