Mahashivratri 2022: भगवान शिव के ये 2 अवतार आज भी रहते हैं धरती है पर, एक को मिला है वरदान तो दूसरे को श्राप

भगवान विष्णु की तरह भगवान शिव ने भी अनेक अवतार लिए हैं, लेकिन इन अवतारों को बारे में कम ही लोग जानते हैं। शिवमहापुराण (shiva mahapuran) में इन अवतारों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान शिव के 2 अवतार आज भी जीवित हैं और धरती पर ही निवास करते हैं।

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव के 2 अवतार आज भी जीवित हैं। ये अवतार हैं श्रीराम भक्त हनुमान (Hanumanji) और महापराक्रमी अश्वत्थामा (Ashwatthama) का। हनुमानजी को अमरता का वरदान देवी सीता ने दिया था, जबकि अश्वत्थामा भगवान श्रीकृष्ण के द्वारा दिए गए श्राप के कारण जीवित हैं। आज भी कुछ स्थानों पर इनके होने के प्रमाण मिलते हैं। हालांकि इनकी सच्चाई के बारे में दावा नहीं किया जा सकता। महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2022) के मौके पर हम आपको इन दोनों शिव अवतारों से जुड़ी खास बातें बता रहे हैं…

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कैसे हुआ हनुमानजी का जन्म?
शिवपुराण के अनुसार, देवताओं और दानवों को अमृत बांटते हुए विष्णु के मोहिनी रूप को देखकर लीलावश शिवजी ने कामातुर होकर अपना वीर्यपात कर दिया। सप्त ऋषियों ने उस वीर्य को कुछ पत्तों में संग्रहित कर लिया। समय आने पर सप्त ऋषियों ने भगवान शिव के वीर्य को वानरराज केसरी की पत्नी अंजनी के कान के माध्यम से गर्भ में स्थापित कर दिया, जिससे अत्यंत तेजस्वी एवं प्रबल पराक्रमी श्रीहनुमानजी उत्पन्न हुए।किसने दिया अमरता का वरदान?
वाल्मीकि रामायण के अनुसार, जब हनुमानजी माता सीता की खोज करते हुए लंका में पहुंचे और उन्होंने भगवान श्रीराम का संदेश सुनाया तो वे बहुत प्रसन्न हुईं। इसके बाद माता सीता ने हनुमानजी को अपनी अंगूठी दी और अमर होने के वरदान दिया।

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काल, क्रोध, यम और भगवान शिव का अंशावतार थे अश्वत्थामा
महाभारत के अनुसार, पांडवों के गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा काल, क्रोध, यम व भगवान शंकर के अंशावतार थे। आचार्य द्रोण ने भगवान शंकर को पुत्र रूप में पाने की लिए घोर तपस्या की और भगवान शिव ने उन्हें वरदान दिया कि वे उनके पुत्र के रूप में अवतार लेंगे। समय आने पर सवन्तिक रुद्र ने अपने अंश से द्रोण के बलशाली पुत्र अश्वत्थामा के रूप में अवतार लिया। 

किसने दिया श्राप?
कुरुक्षेत्र के युद्ध में अश्वत्थामा ने कौरवों का साथ दिया। जब कौरव सेना युद्ध हार गई तो बदला लेने के लिए रात में अश्वत्थामा ने पांडवों के पुत्रों का वध कर दिया और ब्रह्मास्त्र चलाकर अभिमन्यु की पत्नी के गर्भ में पल रहे शिशु को मारने का भी प्रयास किया। क्रोधित होकर भगवान श्रीकृष्ण ने अश्वत्थामा के मस्तक की मणि निकाल ली और चिरकाल तक पृथ्वी पर भटकते रहने का श्राप दिया।

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क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि?
महाशिवरात्रि भगवान शिव से संबंधित सबसे प्रमुख त्योहार है। ये पर्व फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी तिथि पर मनाया जाता है। शिवपुराण के अनुसार, इस तिथि पर भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे और विष्णु और ब्रह्माजी की परीक्षा ली थी।, वहीं कुछ स्थानों पर इसे शिव-पार्वती के विवाह से जोड़कर देखा जाता है। मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान शिव और पार्वती का विवाह हुआ था।
 

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