Sita Ashtami 2022: 24 फरवरी को करें देवी सीता की पूजा, मिलेगा मनचाहा जीवन साथी और लंबी होगी पति की उम्र

हिंदू पंचांग का अंतिम महीना फाल्गुन 17 फरवरी से शुरू हो चुका है। इस महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को सीता अष्टमी (Sita Ashtami 2022) और जानकी जयंती (Janaki Jayanti 2022)कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन देवी सीता (Goddess Sita) धरती से प्रकट हुई थीं। इस बार ये तिथि 24 फरवरी, गुरुवार को है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 21, 2022 1:20 PM IST

उज्जैन. सीता अष्टमी (Sita Ashtami 2022) पर देवी सीता की विशेष पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार जब राजा जनक (king janak) हल से धरती जोत रहे थे। तभी उनका हल किसी कठोर चीज से टकराया। जब राजा जनक ने देखा तो वहां से उन्हें एक कलश प्राप्त हुआ। उस कलश में एक सुंदर कन्या थी। राजा जनक की कोई संतान नहीं थी। वे उस कन्या को अपने साथ ले आए। इस कन्या का नाम ही सीता रखा गया। माता सीता को लक्ष्मी जी का ही स्वरूप माना जाता है। जानकी जयंती पर माता सीता की विधि-विधान से पूजा की जाती है। आगे जानिए जानकी जयंती का महत्व और पूजा विधि...

इस विधि से करें व्रत और पूजा
- सीता अष्टमी के दिन प्रातः स्नान आदि से निवृत होकर माता सीता और भगवान श्रीराम के समक्ष व्रत का संकल्प करें। सबसे पहले भगवान गणेश और माता अंबिका की पूजा करें। 
- इसके बाद माता सीता और भगवान श्रीराम की पूजा आरंभ करें। माता सीता को पीले फूल, पीले वस्त्र और सोलह श्रृंगार का सामान अर्पित करें। 
- माता सीता को भोग में पीली चीजें अर्पित करें। विधिपूर्वक पूजा के बाद मां सीता की आरती करें। दूध और गुड़ से व्यंजन बनाकर प्रसाद चढ़ाएं और वितरित करें।
- पूजन करने के पश्चात माता जानकी के इस मंत्र का एक माला जाप करें। 
''रामाभ्यां नमः मंत्र'' 
- शाम को पुनः पूजन करने के पश्चात जो दूध और गुड़े के बने व्यंजन से व्रत का पारण करें।

जानकी जयंती का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, सीता जयंती का व्रत करने से वैवाहिक जीवन से जुड़े सभी कष्टों का नाश होता है। इसके साथ ही पति की आयु लंबी होती है। सुहागन महिलाओं के लिए यह व्रत बहुत मायने रखता है। इसके साथ ही इस दिन कुंवारी लड़कियां भी मनचाहे वर के लिए व्रत करती हैं। यदि किसी कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो तो इस व्रत को करने से विवाह की बाधाएं दूर होती हैं।

 

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