Makar Sankranti 2023: क्यों खाई जाती मकर संक्रांति पर ये खास ’डिशेस’, क्या है इसमें छिपा साइंस कनेक्शन?

Published : Jan 11, 2023, 10:42 AM IST
Makar Sankranti 2023: क्यों खाई जाती मकर संक्रांति पर ये खास ’डिशेस’, क्या है इसमें छिपा साइंस कनेक्शन?

सार

Makar Sankranti 2023: हिंदू धर्म में कई त्योहार मनाए जाते हैं और इन त्योहारों पर खास पकवान बनाए जाते हैं। मकर संक्रांति पर भी ऐसी ही परंपरा है। इस मौके पर तिल-गुड़ से बने पकवान और दाल-चावल की खिचड़ी खाने की परंपरा काफी पुरानी है।  

उज्जैन. इस बार मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2023) का पर्व 15 जनवरी, रविवार को मनाया जाएगा। इस त्योहार महत्व कई धर्म ग्रंथों में बताया गया है। ये त्योहार सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने की खुशी में मनाया जाता है। सूर्य के मकर राशि में आते ही उत्तरायण शुरू हो जाता है यानी सूर्य पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध की और गति करने लगता है। मकर संक्रांति पर पर कई परंपराओं का पालन किया जाता है जैसे पतंग उड़ाई जाती है, पवित्र नदी में स्नान करने के बाद जरूरतमंदों को दान किया जाता है। इस मौके पर कुछ खास व्यंजन भी खास तौर पर खाए जाते हैं। आगे जानिए कौन-से वो व्यंजन और मकर संक्रांति पर ही क्यों खाए जाते हैं…  

मकर संक्रांति पर कौन-से व्यंजन खाने की परंपरा?
मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ से बने व्यंजन जैसे लड्डू, गजक और रेवडी आदि खाने की परंपरा पूरे देश में है। साथ ही इस दिन दाल-चावल से बनी खिचड़ी भी विशेष रूप से खाई जाती है। साथ ही इन पकवानों का दान भी जरूरतमंदों को जरूर किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। मकर संक्रांति पर इन व्यंजनों को खाने के पीछे कोई धार्मिक नहीं बल्कि वैज्ञानिक कारण छिपे हैं। इन कारणों के बारे में आम लोग कम ही जानते हैं।



इसलिए खाए जाते हैं तिल-गुड़ के व्यंजन

मकर संक्रांति का पर्व शीत ऋतु में मनाया जाता है। इस दौरान शरीर को अतिरिक्त एनर्जी की आवश्यकता होती है। तिल-गुड़ से बने व्यंजन शरीर की ये आवश्यकता बखूबी पूरी करते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, तिल में तेल की प्रचुरता रहती है और गुड़ की तासीर भी गर्म होती है। तिल व गुड़ को मिलाकर जो व्यंजन बनाए जाते हैं, वह सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में आवश्यक गर्मी पहुंचाते हैं। साथ ही तिल में कैल्शियम, बी काम्पलेक्स और कार्बोहाइट्रेड जैसे जरूरी तत्व भी भरपूर मात्रा में होते हैं। गुड़ मैग्नीशियम का एक बेहीतरीन स्रोत है। ठंड में शरीर को इस तत्व की बहुत आश्यकता होती है। यही कारण है कि हमारे पूर्वजों ने मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ से बने व्यंजन खाने की परंपरा बनाई।

क्यों खाते हैं दाल-चावल की खिचड़ी?
मकर संक्रांति पर दाल-चावल की खिचड़ी विशेष रूप से खाई जाती है। उत्तर प्रदेश में मकर संक्रांति को खिचड़ी पर्व के नाम से ही जाना जाता है। मेडिकल रिसर्च के अनुसार, चावल में कार्बोहाइड्रेट और दाल से प्रोटीन मिलता है। जब इसमें सब्जियां मिलाई जाती हैं तो इसमें विटामिन्स और मिनरल्स भी मिल जाते हैं और यह एक सम्पूर्ण आहार बन जाती है। घी मिलाने से इसके हेल्थ बेनिफिट्स और भी बढ़ जाते हैं। शीत ऋतु में शरीर को ऐसे ही भोजन की आवश्यकता होती है जो संपूर्ण आहार हो। इसलिए मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान की परंपरा है।


 

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