Muharram 2022: महज 6 महीने का ये छोटा बच्चा था कर्बला का पहला शहीद

इस्लाम में हिजरी कैलेंडर का प्रचलन है। उसके अनुसार साल के पहले महीने का नाम मुहर्रम (Muharram 2022) है। इस महीने के शुरूआती 10 दिन बहुत ही खास होते हैं। इन 10 दिनों में मुस्लिम संप्रदाय के लोग इमाम हुसैन को याद करके दुख मनाते हैं।
 

Manish Meharele | Published : Aug 8, 2022 11:46 AM IST / Updated: Aug 08 2022, 05:21 PM IST

उज्जैन. मुहर्रम महीने के शुरूआती 10 दिनों में हजरत इमाम हुसैन पर तानाशाह यजीद ने खूब जुल्म किए थे। इमाम हुसैन (Hazrat Imam Hussain) इस्लाम के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। वे नेकी और ईमानदारी के रास्ते पर चलते हुए 10 मुहर्रम को शहीद हो गए थे। ये घटना इराक के कर्बला में हुई थी। आज भी कर्बला मुस्लिम समाज के लोगों के पवित्र स्थान हैं। कर्बला में यजीद की सेना और इमाम हुसैन की जंग में कई लोग मारे गए, लेकिन जंग में पहला शहीद एक 6 महीने का बच्चा था। आगे जानिए कौन था वो बच्चा… 

कुछ ही दिनों में में उजड़ गई कर्बला की बस्ती
यूं तो दुनिया में कई बस्तियां बसी औ उजड़ गई लेकिन कर्बला की बस्ती सिर्फ 9 दिनों में ही तबाह कर दी गई। 2 मुहर्रम 61 हिजरी में हजरत इमाम हुसैन ने ये बस्ती आबाद की और 10 मुहर्रम को इमाम हुसैन अपने साथियों के साथ शहीद हो गए। इस तरह कर्बला की यह बस्ती 10 मुहर्रम को उजड़ गई।

जानिए, कौन था कर्बला का पहला शहीद
- 2 मुहर्रम 61 हिजरी में कर्बला में इमाम हुसैन के काफिले को याजीदी फौज ने घेर लिया तो हुसैन साहब ने वही अपने साथियों से खेमा लगाने को कहा। पास बहने वाली फुरात नदी के पानी पर भी याजीदी फौज ने पहरा लगा दिया। बिना पानी के इमाम हुसैन के साथियों और परिवार का बुरा हाल हो गया। 
- इमाम हुसैन का 6 माह का बेटा अली असग़र भी उनके साथ था। बड़ों ने तो खुद की भूख-प्यास पर काबू कर लिया लेकिन छोटे से बच्चे की हालत देखकर इमाम हुसैन की पत्नी सय्यदा रबाब ने कहा कि “इस बच्चे की तो किसी से कोई दुश्मनी नहीं है, शायद इसे पानी मिल जाए।” 
- पत्नी की बात मानकर इमाम हुसैन बच्चे को लेकर अपने खेमें से बाहर निकले और याजीदी फौज से कहा कि “कम से कम इसे तो पानी पिला दो।” जवाब में यजीद के फौजी हरमला ने ऐसा तीर मारा कि वह हज़रत अली असग़र के हलक को चीरता हुआ इमाम हुसैन के बाज़ू में जा लगा। बच्चे ने बाप के हाथ पर तड़प कर अपनी जान दे दी। इमाम हुसैन के काफिले का यह सबसे नन्हा व पहला शहीद था।

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