सार

दुनिया में बहुत सारे धर्म हैं। इन सभी का अलग-अलग कैलेंडर होता है। उसी तरह मुस्लिम कैलेंडर को हिजरी कहा जाता है। मुहर्रम इस कैलेंडर का पहला महीना होता है। इस महीने के शुरूआती 10 दिन बहुत खास होते हैं।

उज्जैन. इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने मुहर्रम के पहले 10 दिनों में मुस्लिम संप्रदाय के लोग इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं क्योंकि इस महीने के दसवी तारीख को ही हजरत इमाम हुसैन शहीद हुए थे। हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। इस बार मुहर्रम महीने की शुरूआत 31 जुलाई से हो चुकी है और 9 अगस्त, मंगलवार को हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मुस्लिम समाज के लोग मातम मनाएंगे, जिसे आशूरा कहा जाता है। आगे जानिए मुहर्रम से जुड़ी कुछ खास बातें…

क्यों खास है मुहर्रम का महीना? जानिए खास बातें… (Why is the month of Muharram special?)
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, मुहर्रम की पहली तारीख से मुसलमानों का नया साल हिजरी शुरू होता है। मुस्लिम देश के लोग हिजरी कैलेंडर को ही मानते हैं। ये इस्लाम के 4 पवित्र महीनों में से एक है। इस्लामा में मुहर्रम का अर्थ होता है हराम यानी निषिद्ध। इस महीने में ताजिया और जुलूस निकाले जाने की परंपरा है। इस पूरे महीने को अल्लाह का महीना कहा जाता है।

कौन थे इमाम हुसैन, किसने मारा उन्हें? (Who was Imam Hussain, who killed him?)
- हजरत इमाम हुसैन इस्लाम धर्म के संस्थापक हजरत मुहम्मद साहब के छोटे नवासे थे। इस दौरान यजीद नाम का एक तानाशाह शासक था जो जुल्म के बल राज हुकुमत करना चाहता था। यजीद चाहता था कि इमाम हुसैन भी उनका कहना मानें, लेकिन उन्होंने यजीद की बात मानने से इंकार कर दिया। 
- मुहर्रम महीने की 2 तारीख को जब इमाम हुसैन अपने परिवार और साथियों के साथ कूफा शहर जा रहे थे, तभी रास्ते में यजीद को फौज ने उन्हें घेर लिया। वो जगह कर्बला थी। इमाम हुसैन ने अपने परिवार और साथियों के साथ कर्बला में ही बस्ती बसाई। 
- मुहर्रम की 7 तारीख को इमाम हुसैन की बस्ती में पानी खत्म हो गया। तीन दिन तक इमाम हुसैन सहित सभी लोग भूखे-प्यासे इबादत करते रहे। 9 मुहर्रम की रात को इस्लाम में शबे आशूर के नाम से जाना जाता है। 
- 10 मुहर्रम को इमाम हुसैन के साथियों और यजीद के सेना में मुकाबला हुआ और इमाम हुसैन अपने साथियों के साथ नेकी की राह पर चलते हुए शहीद हो गए। इस तरह कर्बला की यह बस्ती 10 मुहर्रम को उजड़ गई।

क्यों निकाले जाते हैं ताजिए? (What is Tajiya)?
मुहर्रम महीने के दसवें दिन मुस्लिम संप्रदाय के लोग ताजिए निकालते हैं। ये लकड़ी, बांस व रंग-बिरंगे कागज से सजे हुए होते हैं जो हजरत इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक माना जाता है। इसी जुलूस में इमाम हुसैन के सैन्य बल के प्रतीक स्वरूप अनेक शस्त्रों के साथ युद्ध की कलाबाजियां दिखाते हुए लोग चलते हैं। मुहर्रम के जुलूस में शोक-धुन बजाते हैं और शोक गीत (मर्सिया) गाते हैं। लोग इस जुलूस में अपनी छाती पीटकर इमाम हुसैन की शहादत को याद करते हैं।

क्या होता है आशूरा, भारत में कब है?
इस्लामी मान्यताओं के अनुसार, मुहर्रम की 10वीं तारीख को यौम-ए-आशूरा (Ashura) कहा जाता है। यह दिन मातम का होता है। भारत में मुहर्रम का महीना 31 जुलाई को शुरू हुआ है, इसलिए आशूरा 09 अगस्त, मंगलवार को है। पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी आशूरा 09 अगस्त को ही रहेगा। चूंकि सऊदी अरब, ओमान, कतर, संयुक्त अरब अमीरात, इराक, आदि देशों में मुहर्रम का महीना 30 जुलाई से हुआ था, इसलिए वहां पर आशूरा 08 अगस्त, सोमवार को है।



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