Nagpanchami 2022: 2 अगस्त को नागपंचमी पर गलती से भी न करें ये 4 काम, इन्हें माना जाता है अपशकुन

इस बार 2 अगस्त, मंगलवार को नागपंचमी (Nagpanchami 2022) का पर्व मनाया जाएगा। ये पर्व नागदेवता को समर्पित है। ऐसा कहा जाता है कि नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा करने से सर्प भय से मुक्ति मिलती है।

उज्जैन. इस बार 2 अगस्त, मंगलवार को नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा। सांप हमारे पारिस्थितिक तंत्र का एक महत्वपूर्ण अंग हैं। सांप अगर न हो तो पारिस्थितिक तंत्र में बहुत बड़ा बदलाव आ सकता है, जिसका नुकसान मनुष्यों को हो सकता है। ये पर्व मुख्य रूप से नागों को इसी बात का धन्यवाद देने के लिए मनाया जाता है। नागपंचमी से जुड़ी कई मान्यताएं और परंपराएं (Do not do this work on Nagpanchami) भी हैं। उसी के अनुसार, नागपंचमी पर कुछ खास काम करने से बचना चाहिए। ऐसा करना अशुभ माना जाता है। आगे जानिए नागपंचमी पर कौन से काम करने से बचना चाहिए…

जीवित सांप की पूजा न करें
नागपंचमी का पर्व नागदेवता की पूजा करने का है, लेकिन भूलकर भी जीवित सांप की पूजा न करें। पूजा के दौरान जो सामग्री उन पर चढ़ाई जाती है, उससे नागों के स्वास्थ्य पर बुरा असर हो सकता है। जीवित नाग को दूध भूलकर भी न पिलाएं क्योंकि ये एक मांसाहारी जीव है। जबरन दूध पिलाने से इनकी जान भी जा सकती है।

धारदार चीजों का उपयोग न करें
मान्यताओं के अनुसार, नागपंचमी पर धारदार चीजें जैसे- चाकू, कैंची आदि का उपयोग करने से बचना चाहिए। ये परंपरा किसने और क्यों बनाई, इसकी जानकारी तो नहीं है। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि नागपंचमी पर धारदार चीजों का उपयोग करने से अशुभ परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। 

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इस दिन जमीन न खोदें
नागपंचमी पर जमीन खोदने यहां तक कि हल चलाने की भी मनाही है। मान्यता है कि नाग जमीन के अंदर निवास करते हैं। जमीन खोदने से उनके निवास को नुकसान होने के खतरा बना रहता है। नागपंचमी की कथा के अनुसार, किसान द्वारा हल चलाने से नागिन के बच्चों को मौत हो गई थी, जिसका बदला लेने के लिए नागिन ने किसान के पूरे परिवार को डंस लिया था। इसलिए नागपंचमी पर जमीन खोदने की मनाही है।

लोहे के बर्तन में खाना न पकाएं
प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, नागपंचमी पर लोहे के बर्तन जैसे तवा या कहाड़ी का उपयोग नहीं करना चाहिए। बिना इनके इस्तेमाल के भोजन पकाना चाहिए। साथ ही इस दिन सुई धागे के उपयोग से भी बचना चाहिए। इन मान्यताओं के पीछे कोई धार्मिक कारण तो नहीं है, लेकिन मनोवैज्ञानिक पक्ष जरूर हो सकता है।
 

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