Narsingh Chaturdashi 2022: कब है नृसिंह चतुर्दशी, जानिए भगवान विष्णु ने क्यों लिया इस रूप में अवतार?

धर्म ग्रंथों के अनुसार, वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को नृसिंह चतुर्दशी (Narsingh Chaturdashi 2022) का व्रत किया जाता है। मान्यता के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने नृसिंह के रूप में अवतार लेकर हिरण्यकशिपु का वध किया था। इस बार ये तिथि 14 मई, शनिवार को है।

Manish Meharele | Published : May 11, 2022 4:28 AM IST / Updated: May 11 2022, 12:47 PM IST

उज्जैन. नृसिंह अवतार में भगवान विष्णु का रूप आधा शेर और आधा इंसान का था। भगवान विष्णु ने ये अवतार अपने परम भक्त प्रह्लाद को बचाने के लिए लिया था, जो राक्षसों के राजा हिरण्यकशिपु का पुत्र था। इस अवतार के माध्यम से भगवान ने इस बात का संदेश दिया कि जब-जब भी उनके भक्तों पर कोई विपत्ति आती है तो वे किसी न किसी रूप में आकर उसकी सहायता जरूर करते हैं। वैशाख शुक्ल चतुर्दशी पर भगवान नृसिंह की कथा सुनने का विशेष महत्व है। आगे जानिए भगवान विष्णु को क्यों लेना पड़ा नृसिंह रूप में अवतार…

कब से कब तक रहेगी चतुर्दशी तिथि?
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 14 मई, शनिवार को दोपहर 03:22 बजे से शुरू होगी और इसका समापन 15 मई, रविवार को दोपहर 12:45 बजे होगा। चूंकि भगवान नृसिंह संध्याकाल में प्रकट हुए थे, इसलिए 14 मई, शनिवार को ही भगवान नृसिंह की पूजा करना शुभ रहेगा।

ये है नृसिंह अवतार की कथा
पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि कश्यप और उनकी पत्नी दिति के पुत्र हुए, इनके नाम थे हिरणायक्ष और हिरण्यकशिपु। ये दोनों दैत्य थे। जब हिरण्याक्ष ने पृथ्वी को समुद्र में छिपा दिया तो भगवान विष्णु ने वराह रूप लेकर उसका वध कर दिया। अपने भाई के वध से क्रोधित होकर हिरण्यकशिपु ने ब्रह्मा को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया और वरदान मांगा कि न कोई घर में उसे मार सके न बाहर, न अस्त्र से उसका वध होगा और न शस्त्र से, न वो दिन में मरेगा न रात में, न मनुष्य से मरे न पशु से, न आकाश में और न पृथ्वी में। 
ब्रह्माजी से ऐसा वरदान प्राप्त हिरण्यकशिपु ने त्रिलोक पर अधिकार कर लिया। उसने आदेश दिया कि कोई भी भगवान की पूजा नहीं करेगा, सभी उसकी पूजा करेंगे। उसने भगवान के भक्तों को सताना शुरू कर दिया। लेकिन उसका स्वयं का पुत्र प्रह्लाद भी भगवान विष्णु का भक्त था। ये बात जब हिरण्यकशिपु को पता चली तो उसने अपने पुत्र को समझाने का बहुत प्रयास किया। लेकिन प्रह्लाद धर्म के मार्ग से हटने को तैयार नहीं हुआ। तब हिरण्यकशिपु ने अपने पुत्र को मारने के लिए कई प्रयास किए लेकिन वह सफल नहीं हो पाया। 
तब एक दिन अपने भक्त प्रह्लाद की पुकार पर भगवान विष्णु खंबा फाड़कर नृसिंह रूप में प्रकट हुए। भगवान नरसिंह ने दिन और रात के बीच के वक्त में आधे मनुष्य और आधे शेर का रूप धारण कर नरसिंह अवतार लियाऔर शेर जैसे तेज नाखुनों से पेट फाड़कर उसका वध कर दिया। इस प्रकार से उन्होंने भक्त प्रह्लाद की रक्षा की। उन्होंने अर्शीवाद दिया कि जो भी भक्त वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को उनका व्रत रखेगा, वह सभी तरह के दुखों से दूर रहेगा।

ये भी पढ़ें-

Latest Videos

Chandra Grahan 2022: 16 मई को किस राशि में होगा चंद्र ग्रहण? संभलकर रहें इस राशि के लोग और ध्यान रखें ये बातें

Chandra grahan 2022: कब होगा साल का पहला चंद्रग्रहण? जानिए तारीख, समय और सूतक से जुड़ी हर खास बात

Chandra Grahan 2022: इन 4 राशि वालों को मिलेगा चंद्रग्रहण का फायदा, खुल सकते हैं तरक्की के रास्ते
 

Share this article
click me!

Latest Videos

सपा पर सीएम योगी आदित्यनाथ ने किया सबसे बड़ा तंज, बन गया नया नारा #Shorts
'कठिन साधना से कम नहीं है छठ पूजा का पर्व' PM Modi ने बताया Chhath Puja का महत्व, देखें Video
स्मृति ईरानी ने इंडी अलायंस को दे दी चुनौती, कहा- कभी नहीं होगा ये काम #Shorts
'सपा-कांग्रेस में हो गया तलाक' खटाखट से सफाचट तक सुनिए क्या बोले Yogi Adityanath
US Election Results 2024 के बाद एलन मस्क ने कनाडा PM ट्रूडो को लेकर कर दी भविष्यवाणी । Donald Trump