5 फरवरी, शनिवार यानी वसंत पंचमी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) हैदराबाद (Hyderabad) से 40 किमी दूर श्रीराम नगर (Shriram Nagar) में 11वीं सदी के संत और समाज सुधारक रामानुजाचार्य (Sant Ramanujacharya) की 216 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण करेंगे। संत रामानुजाचार्य की इस मूर्ति को 'स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी' (Statue of Equality) नाम दिया गया है।
उज्जैन. सनातन परंपरा के किसी भी संत के लिए अभी तक इतना भव्य मंदिर नहीं बना है। रामानुजाचार्य (Sant Ramanujacharya) स्वामी पहले ऐसे संत है, जिनकी इतनी बड़ी प्रतिमा स्थापित की गई है। मंदिर का निर्माण 2014 में शुरू हुआ था। रामानुजाचार्य की बड़ी प्रतिमा चीन में बनी है, जिसकी लागत करीब 400 करोड़ रुपए है। ये अष्टधातु से बनी सबसे बड़ी प्रतिमा है। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में शामिल किया गया है।
120 किलो सोने की मूर्ति भी
यहां रामानुजाचार्य की दो मूर्तियां होंगी और दोनों की ही बनावट अलग तरह से की गई है। पहली मूर्ति अष्टधातु से बनाई गई है और यह 216 फीट ऊंची है, जबकि दूसरी मंदिर के गर्भगृह में रखी जाएगी और यह 120 किलो सोने से बनी है। रामानुजाचार्य की 120 किलो सोने से बनी मूर्ति के पीछे एक विशेष कारण है। मंदिर के संस्थापक चिन्ना जियार स्वामी के मुताबिक, रामानुजाचार्य स्वामी धरती पर 120 वर्ष तक रहे थे। इसलिए, 120 किलो सोने से बनी मूर्ति की स्थापना की जा रही है।
क्यों दिया मूर्ति को ये नाम?
संत रामानुजाचार्य की 216 फीट ऊंची इस मूर्ति को 'स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी' नाम दिया गया है। इसके पीछे भी एक कारण है। ऐसा माना जाता है कि रामानुजाचार्य स्वामी ने ही सबसे पहले समाज में समानता का संदेश दिया था। समाज में उनके योगदान को आज तक वो स्थान नहीं मिल पाया, जिसके वो अधिकारी थे। इस मंदिर के जरिए, उनकी समाज के निर्माण में रचनात्मक योगदान को दिखाया जाएगा।
45 एकड़ में बन रहा है पूरा मंदिर
स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी और रामानुजाचार्य टेंपल 45 एकड़ जमीन पर बनाया जा रहा है। मंदिर का मूल भवन करीब 1.5 लाख स्क्वेयर फीट के क्षेत्र में बन रहा है। जो 58 फीट ऊंचा है। इसी पर स्टैच्यू ऑफ इक्वलिटी रखी गई है। इस मंदिर में करीब 25 करोड़ की लागत से म्यूजिकल फाउंटेन लगाए जाएंगे। इनके जरिए भी स्वामी रामानुजाचार्य की गाथा सुनाई जाएगी। साथ ही, दक्षिण भारत के प्रसिद्ध 108 दिव्य देशम् की रेप्लिका भी इस स्टैच्यू ऑफ इक्वैलिटी के चारों ओर बनाई जा रही है।
ये नाम दिया गया है आयोजन को
रामानुजाचार्य की 1000वीं जयंती उत्सव के मौके पर 2 फरवरी से कार्यक्रम शुरू हो चुके हैं। इन 'समारोहम' के तहत सामूहिक मंत्र-जाप और 1035 यज्ञ जैसी आध्यात्मिक गतिविधियों का आयोजन तय किया गया है। इस आयोजन को रामानुज सहस्राब्दी समारोहम नाम दिया गया है। मंदिर में दर्शनार्थियों को 5 भाषाओं में ऑडियो गाइड मिल सकेगी।
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