पीएम नरेंद्र मोदी 11 अक्टूबर को आएंगे महाकाल, लेकिन नहीं कर पाएंगे ये खास काम, जानें वजह?

11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) उज्जैन में लगभग 800 करोड़ की राशि से बने महाकाल लोक का लोकार्पण करेंगे। प्रधानमंत्री किस समय उज्जैन आएंगे और कितनी दूर यहां रूकेंगे। इसका जानकारी प्रशासन के पास पहुंच चुकी है।
 

उज्जैन. नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री (Prime Minister Narendra Modi) बनने के बाद पहली बार महाकाल दर्शन (Mahakaal temple Ujjain) करने उज्जैन आ रहे हैं। महाकाल आने वाले वे देश के पांचवें प्रधानमंत्री होंगे। तय कार्यक्रम के अनुसार 11 अक्टूबर को मोदी शाम 5.30 पर उज्जैन पहुंचेंगे। वे शंख द्वार से मंदिर में प्रवेश करेंगे। चूंकि महाकालेश्वर शिवलिंग पर शाम 5 बजे बाद जल चढ़ाना बंद हो जाता है इसलिए पीएम भगवान महाकाल को जल नहीं चढ़ा पाएंगे, वे सिर्फ सूखी पूजा ही कर पाएंगे। दर्शन-पूजन के बाद वे श्री महाकाल लोक (Mahakaal Lok) का लोकार्पण करेंगे। इसके बाद क्षिप्रा नदी के किनारे स्थित कार्तिक मेला ग्राउंड पर मोदी विशाल जनसभा को संबोधित करेंगे। 

मोदी से पहले कितने पीएम आ चुके हैं महाकाल
महाकाल मंदिर के वरिष्ठ पुजारी और प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य आनंद शंकर व्यास के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी 5वें प्रधानमंत्री होंगे, जो महाकाल दर्शन करने उज्जैन आ रहे हैं। इनके पहले प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी भी बाबा महाकाल के दर्शन कर चुके हैं। 

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उज्जैन में रहेगा दीपावली जैसा माहौल
महाकाल लोकार्पण कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए प्रशासन पूरी तरह से जुटा हुआ है। लोगों से 11 अक्टूबर को घरों में दीपक लगाने की अपील की जा रही है, वहीं सरकारी भवनों पर भी भव्य लाइटिंग की जाएगी। कार्यक्रम में बुलाने के लिए आमंत्रण पत्र छपवाए गए हैं ताकि अधिक से अधिक संख्या में लोग मोदी की जनसभा में आएं। कार्यक्रम के पहला निमंत्रण स्वयं मुख्यमंत्री चिंतामण गणेश को देंगे।

क्या है महाकाल लोक प्रोजेक्ट?
उज्जैन में स्थित महाकाल मंदिर का विस्तारीकरण कर इसे भव्य रूप दिया जा रहा है। इसके पहले चरण में लगभग 800 करोड़ का खर्च आया है। पहले इस प्रोजेक्ट का नाम महाकाल कॉरीडोर था, जिसे बाद में बदलकर महाकाल लोक किया गया क्योंकि पुराणों में इस स्थान को महाकाल वन के नाम से जाना जाता था। महाकाल लोक लगभग 20 हेक्टेयर भूमि पर बनाया गया है, जहां भक्तों के लिए कई सुविधाएं जुटाई गई हैं। महाकाल लोग में में 52 म्यूरल (भित्ती, चित्र), 80 स्कल्प्चर और 200 मूर्तियां बनाई गई हैं।

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